Devshayani Ekadashi 2022 Sadhak Niyam: देवशयनी एकादशी पर इन नियमों से प्राप्त करें चमत्कारी सिद्धियां, विपदा का पहले ही हो जाएगा आभास

आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथी को देवशयनी एकादशी (devshayani ekadashi 2022) है. जो कि 10 जुलाई को है. इसके साथ ही ये भी जानेंगे कि इन दिनों साधकों (devshayani ekadashi 2022 sadhak niyam) के लिए कौन-से नियम होते हैं.

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Megha Jain
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devshayani ekadashi 2022 sadhak niyam( Photo Credit : social media )

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इस साल आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथी को देवशयनी एकादशी (devshayani ekadashi 2022) है. जो कि 10 जुलाई को है. इस दिन के बाद भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाएंगे. फिर, 4 नवंबर को कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी कि दे‌वउठनी एकादशी पर जागेंगे. इस अवधि को चातुर्मास (chaturmas 2022) कहते हैं. जिसमें मांगलिक कार्यों जैसे कि शादी, मुंडन, गृहप्रवेश, उपनयन संस्कार करना वर्जित होता है. इन चार महीनों में शुभ कार्य करने से अशुभ फल की प्राप्ति होती है. तो, चलिए जानत हैं कि भगवान विष्णु चार महीनों के लिए क्यों और किस जगह सोते हैं. इसके साथ ही ये भी जानेंगे कि इन दिनों साधकों के लिए कौन-से नियम होते हैं.   

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देवशयनी एकादशी 2022 साधकों के लिए नियम -

1) जो साधक वाक् सिद्धि प्राप्त करना चाहते हैं. उन्हें देवशयनी की अवधि में मीठे पदार्थों का त्याग करना होता है. 

2) जो साधक दीर्घायु एवं आरोग्य जीवन की प्राप्ति करना चाहते हैं. उन्हें इस अवधि में तली हुए वस्तुओं का त्याग करना होता है. 

3) जो साधक वंश वृद्धि एवं पुत्र आदि की उन्नति करना चाहते हैं. उन्हें इस अवधि के समय दूध एवं दूध से बनी हुई वस्तुओं का त्याग करना होता है. 

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4) जो साधत अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त करना होता है. उन्हें इस अवधि के समय धातु के पात्र का त्याग करके पत्तों पर भोजन करना होता है. 

5) जो साधक अपने समस्त ज्ञात अज्ञात पापों का क्षय करना चाहते हैं. उन्हें देवशयनी की अवधि में अयाचित करना होता है. 

6) इसके अलावा जो साधक अपने समस्त ज्ञात अज्ञात पापों का चयन करना चाहते हैं. उन्हें देवशयनी की अवधि में एकभुक्त भोजन अर्थात केवल एक बार भोजन (Devshayani Ekadashi 2022 sadhak niyam) करना होता है.

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4 माह कहां सोते हैं भगवान विष्णु  - 

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार राजा बलि ने तीनों लोकों पर कब्जा कर लिया था. देवी देवता परेशान हो गए. भयभीय होकर देवराज इंद्र भगवान विष्णु से मदद मांगने उनके पास पहुंचे. श्रीहरि ने वामन अवतार धारण कर लिया और भीक्षू के रूप में बलि के पास दान मांगने पहुंचे. उन्होंने राजा बलि से तीन पग जमीन का दान मांगा. जिसमें दो पग तो भगवान विष्णु ने धरती और आकाश (lord vishnu vaman avtar) नाप लिया. 

Source : News Nation Bureau

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