Arabic Bhagavad Gita: अरब देशों में तेल के भंडार जैसे जैसे घटते जा रहे है वैसे वैसे अरब देश कट्टरता छोड़ उदारवादी रवैया अपनाते जा रहे है क्योंकि उन्हें अच्छी तरह ये बात समझ आ गयी है की केवल इस्लाम के भरोसे देश की अर्थव्यवस्था नहीं चल सकती और इसीलिए अरब देश अब फुड बिज़नेस, इंफ्रास्ट्रक्चर और विदेशी निवेश की ओर बढ़ रहे हैं. सोशल मीडिया अरबी भाषा में लिखी गीता कुछ दिनों से छायी हुई है. हमने जब इस बारे में जानकारी जुटाना शुरू किया तो कई तरह की बातें सामने आयी. सोशल मीडिया पर ये भी दावा किया जा रहा था कि अरब सरकार ने इसे जारी किया है. लेकिन, अरब सरकार द्वारा ऑफिशियली भगवत गीता का अरबी संस्करण जारी करने का दावा गलत निकला.
सऊदी अरब के लोग अरबी भगवत गीता (bhagwat geeta) तो पढ़ रहे हैं और जमकर खरीद भी रहे हैं लेकिन इसका वहां कि सरकार से कोई लेना देना नहीं है. हमने सोशल मीडिया को थोड़ा और खंगाला तो इस्कॉन (ISKCON) के आधिकारिक चैनल हरेकृष्ण टीवी का एक वीडियो मिला जिसमें ये बताया गया है कि भक्ति वेदांत बुक ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित भगवत गीता अरबी अनुवाद और प्रकाशन श्री सत्यनारायण प्रभु द्वारा किया गया है.
इस्कॉन द्वारा जारी की गई इस भागवत गीता की प्रति नहीं सऊदी अरब जैसे देशों में धमाल मचा रखा है. जोधपुर जैसा की आप सब जानते ही है की भागवत गीता के जरिए ही इस कौन विदेशों में हिन्दू धर्म और हिंदू संस्कृति का प्रचार प्रसार कर रहा है. आज पूरा विश्व यदि सनातन धर्म (Sanatan Dharma) की ओर आकर्षित हो रहा है तो उसमें इस्कॉन की सबसे बड़ी और मूलभूत भूमिका है. शायद इसीलिए इस कॉर्न अब तक 20 से अधिक भाषाओं में भागवत गीता का अनुवाद प्रकाशित कर चुका है और जीस तरह भागवत गीता यूरोपीय देशों में काफी लोकप्रिय है, उसी तरह खाड़ी देशों में भी यह भगवदगीता काफी लोकप्रिय हो रही है.
वहां के लोग हिंदू धर्म को अच्छे से समझ सके, इसीलिए भगवत गीता का अरबी अनुवाद प्रकाशित किया गया और आपको जानकर हैरानी होने वाली है कि भगवत गीता का अरबी संस्करण सऊदी अरब सहित तमाम खाड़ी देशों में इतना ज्यादा पसंद किया गया है कि इसकी 15,00,00,000 से भी ज्यादा प्रतिया बिक चुकी. अरब देशों में भगवत गीता (Arabic Bhagavad Gita) इस कदर लोकप्रिय हो चुकी है कि लोग हैरान हैं.
सऊदी अरब जैसे मुस्लिम देश (muslim countries) जो इस्लाम को लेकर काफी ज्यादा कट्टर हैं वहां भगवद गीता का लोकप्रिय होना किसी आश्चर्य से कम नहीं है. अरब देशों की कुल जनसंख्या करीब 93,00,00,000 के आसपास है. ऐसे में भगवत गीता की 15 करोड़ अरबी पुस्तकें अरबी नागरिक द्वारा खरीदा जाना काफी बड़ी बात है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau