Miraculous Shivling: काशी, जहां अनगिनत शिवलिंग स्थित हैं, हर एक का अपना अलग महत्व है. लेकिन काशी विश्वनाथ मंदिर से लगभग 500 मीटर की दूरी पर एक अद्वितीय शिवलिंग है जिसका आकार हर साल बढ़ता जा रहा है. इस मंदिर का नाम तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर (Tilbhandeshwar Mahadev Temple) है. कहा जाता है कि इस मंदिर का शिवलिंग द्वापर युग से यहां स्थापित है और तभी से हर साल तिल के आकार में बढ़ता जा रहा है. इसी वजह से इसे तिलभांडेश्वर कहा जाता है.
शिवलिंग का चमत्कार देख औरंगजेब रह गया था हैरान
इस मंदिर के साथ मुगल शासक औरंगजेब का एक किस्सा भी जुड़ा है. कहा जाता है कि जब औरंगजेब काशी आया था, तो उसने इस मंदिर को तोड़ने के लिए अपने सैनिक भेजे थे. वह जहां भी जाता, वहां के मंदिरों को तोड़ने में उसे मजा आता था. लेकिन जब उसके सैनिकों ने शिवलिंग को तोड़ने की कोशिश की, तो शिवलिंग से रक्त बहने लगा. यह दृश्य देखकर औरंगजेब के सैनिक डर के मारे वहां से भाग गए.
अंग्रेजों ने भी देखा था शिवलिंग का अद्वितीया चमत्कार
बाद में, जब भारत में अंग्रेजों का राज था, तो उन्होंने भी इस मंदिर के बारे में सुना और शिवलिंग से जुड़े दावे की सच्चाई जानने की कोशिश की. उन्होंने शिवलिंग के चारों ओर एक मजबूत धागा बांध दिया ताकि यह देखा जा सके कि क्या सच में शिवलिंग का आकार बढ़ रहा है. बताया जाता है कि दो-तीन सालों के बाद वह धागा प्रेशर की वजह से अपने आप टूट गया.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)