Baba Kinaram: अघोरी संप्रदाय के महान संत कीनाराम जी को सनातन धर्म में एक सिद्ध पुरुष माना जाता है जिन्होंने अपने जीवनकाल में अनेक चमत्कार किए. शिव भक्त बाबा कीनाराम श्मशान और शवों से जुड़ी साधनाओं के लिए भी जाने जाते है. किताबों में मिली जानकारी को सच मानें तो बाबा कीनाराम का जन्म 17वीं शताब्दी के मध्य में उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के रामगढ़ गांव में हुआ था. अघोर परंपरा के सबसे प्रमुख संतों में से एक, बाबा कीनाराम का नाम भारतीय अध्यात्म और साधना की दुनिया में बेहद प्रसिद्ध है.
उनका जीवन ऐसी अघोर साधना का प्रतीक माना जाता था जो न केवल योग और ध्यान का उच्चतम स्तर है, बल्कि उसमें निहित रहस्यों की गहरी समझ भी है. माना जाता है कि उनका जन्म कोई साधारण घटना नहीं थी, बल्कि दिव्य शक्तियों द्वारा संचालित थी. बाबा कीनाराम ने बहुत कम उम्र में ही सांसारिक जीवन त्याग दिया था और साधना के पथ पर निकल पड़े थे. उनकी साधना का मार्ग अघोर पंथ का था, जो हिंदू धर्म की एक अत्यंत रहस्यमय शाखा है. अघोरी साधु वे होते हैं जो जीवन-मृत्यु के चक्र को समझते हैं और किसी भी प्रकार के भेदभाव से ऊपर उठकर साधना करते हैं.
कीनाराम के शिष्य और अघोर परंपरा का प्रचार
बाबा कीनाराम ने अपने जीवनकाल में अघोर साधना का प्रचार किया और कई शिष्यों को दीक्षा दी. उनके प्रमुख शिष्यों में बाबा गहिनीनाथ का नाम आता है, जिन्होंने अघोर परंपरा को आगे बढ़ाया. बाबा कीनाराम का प्रमुख साधना स्थल वाराणसी में स्थित कीनाराम अघोर पीठ है जो आज भी अघोर साधना का प्रमुख केंद्र है. उनकी साधना केवल आत्मकल्याण तक सीमित नहीं थी. उन्होंने अघोरी परंपरा के माध्यम से कई गरीबों और असहायों की मदद की और यह संदेश दिया कि सच्चा साधक केवल तपस्या में ही नहीं बल्कि सेवा में भी रहता है.
उन्होंने यह समझाया कि जन्म और मृत्यु केवल एक यात्रा के दो पड़ाव हैं और एक सच्चा साधक उसे समझकर अपने अहंकार, लोभ, और भयों से मुक्त हो सकता है. उनका जीवन, साधना, और शिक्षाएँ आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं. कीनाराम के जीवन और शिक्षाओं से प्रेरणा लेकर कई लोग अघोरी साधु बन गए हैं. अघोरी साधुओं का जीवन शैली बहुत ही अलग होता है और वे कई बार समाज से अलग-थलग रहते हैं. लेकिन उनके आध्यात्मिक विचारों और उनके जीवन के अनुभवों से कई लोगों को प्रेरणा मिलती है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)