Sankashti Chaturthi 2023: आने वाली है संकष्टी चतुर्थी, विघ्न हरण गणपति देव को प्रसन्न करने के लिए रखें व्रत और जानें लाभ

Sankashti Ganesh Chaturthi 2023: भगवान गणेश के भक्तों के लिए उन्हें प्रसन्न करने का एक और मौका आने वाला है. वैसे तो महीने में ये खास मौका आपको 2 बार मिलता है लेकिन अगला मौका कब मिलेगा आइए जानते हैं.

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Inna Khosla
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Sankashti Ganesh Chaturthi 2023

Sankashti Ganesh Chaturthi 2023( Photo Credit : freepik.com)

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Sankashti Ganesh Chaturthi 2023: बुद्धि, बल और विवेक के देवता भगवान गणेश की विशेष पूजा के लिए महीने में 2 संकष्टी चतुर्थी आती हैं. संकष्टी चतुर्थी का अर्थ है संकट को हरने वाली चतुर्थी. तो आप अगर किसी परेशानी में लंबे समय से घिरे हुए हैं या आपके जीवन में सब कुछ है लेकिन सुख शांति नहीं है. जीवन में स्थिरता नहीं आ रही तो आप संकष्टी चतुर्थी के दिन किसी भी तरह के कठिन समय से मुक्ति पाने के लिए ये व्रत कर सकते हैं. अगर आप पूरे विधि विधान से मां गौरी और गणेश का ध्यान इस दिन व्रत रखकर करते हैं तो आपको ना सिर्फ मन की शांति मिलती है बल्कि आपकी मनोकामनाएं भी पूरी होती है. हिंदू पंचांग के हिसाब से संकष्टी चतुर्थी कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष के चौथे दिन मनाई जाती है. साल 2023 में अब 6 संकष्टी चतुर्थी के व्रत आगे आने वाले हैं. 

शुक्रवार, 04 अगस्त संकष्टी चतुर्थी

रविवार, 03 सितंबर संकष्टी चतुर्थी

सोमवार, 02 अक्टूबर संकष्टी चतुर्थी

बुधवार, 01 नवंबर संकष्टी चतुर्थी

गुरुवार, 30 नवंबर संकष्टी चतुर्थी

शनिवार, 30 दिसंबर संकष्टी चतुर्थी

तो आप अगर इसकी महत्त्वता जान चुके हैं और इसके लाभ जान चुके हैं तो आइए अब आपको बताते हैं कि आप इस दिन कैसे व्रत रखें और भगवान की पूजा अर्चना करें. 

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि

सबसे पहले आप सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें, फिर आप लाल रंग के साफ सुथरे कपड़े पहनें. 

अब मंदिर में जाएं और गणपति की पूजा करें. ध्यान रखें कि पूजा करते समय आप पूर्व या उत्तर दिशा की ओर अपना मुंह रखें. 

गणपति की मूर्ति को फूलों से सजाएं, पूजा में आप तिल, गुड़, लड्डू, फूल ताम्बे के कलश में पानी , धुप, चन्दन , प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रखें. 

गणेश जी की मुर्ति के साथ आप देवी की मूर्ति भी स्थापित करें, और इस पर रोली फूल और जल चढ़ाएं. धूप दीप जलाकर आप ये मंत्र पढ़ें

गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।

इस दिन भगवान को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाना चाहिए. 

इस तरह रखें संकष्टी चतुर्थी का व्रत 

इस दिन आप अन्ना का सेवन ना करें. पूजा करने के बाद आप फल, मूंगफली, खीर, दूध या साबूदाना ही खा सकते हैं. ये फल नमक से ना रखना ज्यादा फलदायी होता है

शाम के समय चांद के निकलने से पहले आप गणपति की पूजा करें और संकष्टी व्रत कथा का पाठ करें, और पूजा के बाद आप प्रसाद बांटें. ये व्रत आप चांद रखने के बाद ही खोला जाता है. 

तो आप इस विधि विधान के साथ अगर संकष्टि चतुर्थी का व्रत रखते हैं तो इससे आपको लाभ मिलता है. ये सारी जानकारी ज्योतिशास्त्र के आधार पर है न्यूज़ नेशन इसकी पुष्टि नहीं करता.

Source : News Nation Bureau

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