Lord Shiva Temple: दिन में 2 बार गायब हो जाता है महादेव का ये मंदिर, रहस्य जानकर हो जाएंगे हैरान 

Lord Shiva Temple: भारत में भगवान शिव के सैकड़ो प्रसिद्ध और चमत्कारी मंदिर हैं. इन्ही में से एक मंदिर गुजरात में है जो दिन में 2 बार गायब होकर प्रकट हो जाता है. क्या है महादेव के इस चमत्कारी मंदिर की कहानी आइए जानते हैं.

Lord Shiva Temple: भारत में भगवान शिव के सैकड़ो प्रसिद्ध और चमत्कारी मंदिर हैं. इन्ही में से एक मंदिर गुजरात में है जो दिन में 2 बार गायब होकर प्रकट हो जाता है. क्या है महादेव के इस चमत्कारी मंदिर की कहानी आइए जानते हैं.

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Inna Khosla
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Shree Stambheshwar Mahadev Temple

Shree Stambheshwar Mahadev Temple( Photo Credit : News Nation)

Lord Shiva Temple: भारत में महादेव के कई रहस्यमयी मंदिर हैं, उन्हें में से एक मंदिर अरब सागर के बीच तट पर स्थित है. इतिहास के जानकारों की मानें तो इस मंदिर की खोज 150 साल पहले हुई. महादेव के इस मंदिर के बारे में महाशिव पुराण की रुद्र संहिता में भी लिखा गया है. मंदिर के शिवलिंग की बात करें तो इसका आकार चार फुट ऊंचा और दो फुट के ब्यास वाला है. मंदिर के चमत्कार आज भी लोग साक्षात देखते हैं. जो भी यहां आता है भोलेनाथ की महिमा में खो जाता है. मंदिर दिन में 2 बार गायब होता है और इस चमत्कार को लोग अपने सामने देखते हैं. ये सब कैसे होता है, कब होता है और कहां होता है आइए जानते हैं. 

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कब और कैसे गायब होता है ये मंदिर

भगवान शिव के इस मंदिर का नाम है स्तंभेश्वर महादेव मंदिर, ये मंदिर दिन में दो बार के लिए गायब हो जाता है. एक बार सुबह और एक बार शाम को मंदिर के गायब होता है.कारण अरेबियन सी में उठने वाले फेब्राइल रिफ्लेक्स यानि ज्वार भाटा को बताया जाता है. स्तंभेश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग के दर्शन तभी होते हैं जब समुद्र की लहरें पूरी तरह शांत होती हैं. ज्वार भाटे से शिवलिंग पूरी तरह से पानी जलमग्न हो जाता है और ये प्रक्रिया प्राचीन समय से चली आ रही है. यहां पर दर्शन करने से पहले हर एक इंसान को नोटिस पैम्फलेट बांटे जाते है. उन पैम्फलेट्स पर फेब्राइल रिफ्लेक्स यानि की ज्वार भाटा का टाइम लिखा हुआ होता है. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि यहां आने वाले श्रद्धालु को परेशानी का सामना ना करना पड़े. 

पौराणिक कथा (mythological story)

मंदिर से एक पौराणिक कथा भी जुड़ी हुई है. उस कथा के अनुसार राक्षस तारकासुर ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी. 1 दिन शिव जी उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर उसके सामने प्रकट हुए और तारकासुर को वरदान मांगने को कहा और तारकासुर ने शिव से वरदान के रूप में मांगा कि मुझे सिर्फ शिव जी का पुत्र ही मार सके और वो भी तब जब उसकी आयु केवल छह दिनों की हो. शिवजी ने ये वरदान तारकासुर को दे दिया और अंतर् ध्यान हो गए और इधर वरदान मिलते ही तारकासुर हाहाकार मचाने लगा, जिससे डरकर सभी देवताओं को शिव जी के पास जाना पड़ा और सभी देवताओं के आग्रह पर शिव जी ने उसी समय अपनी शक्ति से श्वेत पर्वत कुंड से 12 हाथ वाले एक पुत्र को उत्पन्न किया, जिसका नाम था कार्तिकेय और इसके बाद कार्तिकेय ने 6 दिन की उम्र में ही तारकासुर का वध कर दिया. 

लेकिन, जब कार्तिकेय को पता चला की तारकासुर भगवान शंकर का भक्त था तो वो काफी व्यतीत हो गए. फिर भगवान विष्णु ने कार्तिकेय से कहा की तारकासुर के वध के स्थान पर एक शिवालय बनवा दे, इससे उनका मन शांत होगा और भगवान कार्तिकेय ने ऐसा ही किया और फिर सभी देवताओं ने मिलकर वही सागर संगम तीर्थ पर एक वर्ल्ड स्टैन्डर्ड पिल्लर की स्थापना की. आज जिसे स्तंभेश्वर तीर्थ के नाम से जाना जाता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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