Non Hindu Ban in Maha Kumbh 2025: हाल ही में प्रयागराज महाकुंभ 2025 को लेकर एक बड़ा विवाद सामने आया है, जिसमें अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने गैर-हिंदुओं के महाकुंभ में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है. बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री के बयान 'मेरे अंगना में तुम्हारा क्या काम है' ने देशभर में महाकुंभ में गैर हिंदूओं की एंट्री पर बैन लगाने वाले इस बयान को लेकर चर्चा शुरू हो चुकी है. परिषद के अध्यक्ष, श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज, ने हरिद्वार में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान इस फैसले की घोषणा की और इसके पीछे कुछ विशेष कारण बताए. उन्होंने यह स्पष्ट किया कि सनातन संस्कृति को बचाने और उसके अपवित्र होने से रोकने के लिए यह कदम उठाना आवश्यक हो गया है. इसी कारण अखाड़ा परिषद ने फैसला किया है कि इस बार के प्रयागराज महाकुंभ में केवल हिंदू धर्मावलंबियों को ही प्रवेश की अनुमति होगी, जबकि गैर-हिंदुओं का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा.
उनका आरोप है कि थूकने और पेशाब करने जैसी हरकतों से सनातन संस्कृति का अपमान और अपवित्रता फैलाई जा रही है जिसे किसी भी सूरत में सहन नहीं किया जा सकता. श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि हाल के दिनों में कुछ समुदाय विशेष के लोग महाकुंभ (Maha Kumbh 2025) जैसे धार्मिक आयोजन में शामिल होकर अशुद्धि फैलाने का प्रयास कर रहे हैं.
संत समाज और अखाड़ों का समर्थन
इस निर्णय के बाद संत समाज के कई अखाड़े और संगठन भी अखाड़ा परिषद के इस फैसले का समर्थन कर रहे हैं. कई संत और धर्मगुरु मानते हैं कि महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजनों की पवित्रता को बनाए रखने के लिए यह कदम उचित और आवश्यक है. संत समाज का कहना है कि यह निर्णय केवल सनातन धर्म की रक्षा और उसके सम्मान के लिए लिया गया है.
सरकार से खाद्य और पेय की व्यवस्था पर नियंत्रण की मांग
श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने उत्तर प्रदेश सरकार से अपील की कि महाकुंभ (Maha Kumbh 2025) के दौरान खाद्य और पेय पदार्थों की व्यवस्था को लेकर सख्त नियम बनाए जाएं. उन्होंने सरकार से यह मांग की है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि कौन जूस बेचेगा और कौन खाना परोसेगा. उनका कहना है कि महाकुंभ में किसी भी प्रकार की अपवित्रता फैलाने की कोशिश होने पर नागा साधु ऐसे लोगों को दंडित करेंगे. इस मामले को लेकर संत समाज का मानना है कि धार्मिक आयोजनों में किसी भी प्रकार की अनुचित गतिविधियां अस्वीकार्य हैं और सरकार को ऐसे मामलों पर नियंत्रण रखना चाहिए.
मुस्लिम मौलवियों और धर्मगुरुओं की चुप्पी पर सवाल
रविंद्रपुरी महाराज ने इस मामले में मुस्लिम समुदाय के मौलवियों और धर्मगुरुओं की चुप्पी पर भी सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि अगर समाज में धार्मिक सम्मान की बात होती है तो सभी धर्मगुरुओं का यह कर्तव्य है कि वे अपने अनुयायियों को शांति और सौहार्द्र का संदेश दें. श्रीमहंत का कहना है कि ऐसे मामलों पर मौन रहना केवल समस्या को बढ़ावा देता है और इससे धार्मिक असहिष्णुता और भी बढ़ सकती है.
प्रयागराज महाकुंभ 2025 (Maha Kumbh 2025) में गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगाने का अखाड़ा परिषद का निर्णय एक ऐतिहासिक कदम है जो कई लोगों के लिए विवाद का विषय बन सकता है. परिषद का मानना है कि महाकुंभ की पवित्रता बनाए रखना और सनातन धर्म का सम्मान सुनिश्चित करना आवश्यक है. इस फैसले को लेकर संत समाज और अखाड़े एकजुट होकर सरकार और जनता से समर्थन की उम्मीद कर रहे हैं ताकि इस धार्मिक आयोजन को सुरक्षित और गरिमामय ढंग से संपन्न किया जा सके.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)