सावन के महीने (sawan 2022) में भोलेनाथ के साथ-साथ मां पार्वती की पूजा का भी विधान होता है. सावन के महीने में भगवान शिव के साथ माता गौरी की पूजा आराधना भी की जाती है. इस महीने पड़ने वाले मंगलवार को मंगला गौरी व्रत (Mangla Gauri Vrat 2022) रखा जाता है. माता मंगला गौरी आदिशक्ति माता पार्वती का ही मंगल रूप है. इन्हें माता दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी के नाम से जानते हैं. संतान की उन्नति और कष्टों से छुटकारा पाने के लिए भी ये उपवास किया जाता है. इस बार ये व्रत 19 जुलाई को रखा जा रहा है. तो, चलिए इस दिन के व्रत रखने के महत्व और कथा के बारे में जानते हैं.
मंगला गौरी व्रत 2022 महत्व -
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मान्यता है कि मंगला गौरी व्रत रखने तथा इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा करने वाले व्यक्ति की हर मनोकामना पूर्ण होती है. वहीं सुहागिन महिलाएं इस व्रत को अपने पति की दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए (Mangla Gauri Vrat 2022 importance) रखती हैं.
मंगला गौरी व्रत 2022 कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक शहर में धरमपाल नाम का एक व्यापारी रहता था. उसकी पत्नी बहुत खूबसूरत थी और उसके पास धन संपत्ति की भी कोई कमी नहीं थी लेकिन, संतान न होने की वजह से वे दोनों बहुत ही दु:खी रहा करते थे. कुछ समय के बाद ईश्वर की कृपा से उनको एक पुत्र की प्राप्ति हुई परंतु वह अल्पायु था. उसे श्राप मिला था कि 16 वर्ष की आयु में सर्प के काटने से उसकी मृत्यु हो जाएगी. संयोग से उसकी शादी 16 वर्ष की आयु पूर्ण होने से पहले ही हो गई. जिस कन्या से उसका विवाह हुआ था उस कन्या की माता मंगला गौरी व्रत किया करती थी.
मां गौरी के इस व्रत की महिमा के प्रभाव से चलते उस महिला की कन्या को आशीर्वाद प्राप्त था कि वह कभी विधवा नहीं हो सकती. कहा जाता है कि अपनी माता के इसी व्रत के प्रताप से धरमपाल की बहु को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति हुई और उसके पति को 100 वर्ष की लंबी आयु प्राप्त हुई. तभी से ही मंगला गौरी व्रत की शुरुआत मानी गई है. धार्मिक मान्यता ये है कि ये व्रत करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति तो होती ही है लेकिन, साथ ही दांपत्य जीवन में सदैव ही प्रेम भी (Mangla Gauri Vrat 2022 katha) बना रहता है.