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Goddess Lakshmi: भगवान शिव से जानें पापियों के घर में क्यों रहती हैं मां लक्ष्मी

Goddess Lakshmi: अगर आप ये सोचते हैं कि जो लोग अक्सर अधर्म के मार्ग पर चलते हैं वो जल्द धनी बन जाते हैं, इसका कारण क्या है तो आपको भगवान शिव की इस कहानी में इसका जवाब मिल जाएगा.

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Inna Khosla
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why Goddess Lakshmi lives in the house of sinners

why Goddess Lakshmi lives in the house of sinners

Goddess Lakshmi: मां लक्ष्मी का किसी के घर में निवास करना इस बात पर निर्भर करता है कि वह व्यक्ति अपने धन का उपयोग किस तरह करता है. हमें धन को एक साधन के रूप में देखना चाहिए और इसका उपयोग अच्छे कार्यों में करना चाहिए. लेकिन आपने अक्सर देखा होगी कि जिन लोगों के पास जितना ज्यादा धन होता है वो उतने ही अधिक पाप या यूं कहें कि बुरे कामों में लिप्त हो जाते हैं. ऐसे लोगों को देखकर फिर बाकि लोग यही सोचते हैं कि आखिर पापियों के घर में ही देवी लक्ष्मी का वास क्यों होता है. वैसे धनवान व्यक्ति जरूरी नहीं कि धार्मिक हो और गरीब व्यक्ति जरूरी नहीं कि पापी हो. धन का उपयोग अच्छे कार्यों में करने से व्यक्ति धर्म के मार्ग पर आगे बढ़ता है. पाप करने से व्यक्ति को न केवल इस जन्म में बल्कि अगले जन्मों में भी दुख भोगना पड़ता है. भगवान शिव से जब माता पार्वती ने ये सवाल किया कि पापियों के घर मां लक्ष्मी क्यों रहती हैं तो जानें उन्होने देवी पार्वती को इस सावल का कितना अच्छा जवाब दिया.

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भगवान शिव माता पार्वती को समझाते हुए कहते हैं, "हे देवी, जैसे जीभ और दांतों में अंतर होता है, वैसे ही मनुष्यों के स्वभाव और उनके जीवन की स्थिरता में अंतर होता है. जब इंसान जन्म लेता है, तो उसके पास जीभ पहले से होती है, जो जीवनभर उसके साथ रहती है. वहीं, दांत कुछ समय बाद आते हैं और उम्र बढ़ने के साथ पहले ही चले जाते हैं. इसका कारण है कि जीभ में नम्रता और लचीलापन होता है, जो उसे दीर्घायु बनाता है, जबकि दांत कठोर होते हैं, जो अंततः उखड़ जाते हैं."

भगवान शिव आगे कहते हैं, "इसी तरह, जिन मनुष्यों में अहंकार होता है, उनका जीवन भी शीघ्र नष्ट हो जाता है. मैं, हे देवी, ऐसे पापियों को सुधारने का अवसर देता हूं, लेकिन यदि वे धर्म के मार्ग पर नहीं चलते, तो उनका अंत भी दांतों की तरह जड़ से उखाड़ कर होता है. जो लोग थोड़े समय के लिए धनवान बनते हैं, वे भी अंततः विनाश की ओर बढ़ते हैं."

माता पार्वती भगवान शिव के इन शब्दों को सुनकर कहती हैं, "हे प्रभु, आप तो तीनों लोकों के स्वामी हैं, आपकी माया को समझ पाना हम जैसे साधारण जनों के लिए संभव नहीं है. आपने जो उदाहरण दिए, उनसे मैं समझ गई हूं कि पापी मनुष्यों का अंत कैसे होता है."

भगवान शिव ने फिर रावण का उदाहरण देते हुए कहा, "रावण, जो तीनों लोकों का विजेता था, अहंकार के कारण नष्ट हो गया. उसके कुल में उसकी मृत्यु के बाद सिर्फ मंदोदरी ही बची थी जो उसके लिए रोई. जो लोग अहंकार में भरे होते हैं और दूसरों को नुकसान पहुंचाते हैं, वे भी अधिक समय तक नहीं टिकते. जैसे वृक्ष का जड़ से उखाड़ कर गिरना स्वाभाविक होता है, वैसे ही पापियों का विनाश भी निश्चित है."

भगवान शिव ने माता पार्वती को यह भी बताया कि जो लोग धर्म के मार्ग पर चलते हैं, और अपने जीवन में सदाचार का पालन करते हैं, उनके साथ हमेशा शुभ होता है. भगवान शिव की बातें सुनकर माता पार्वती प्रसन्न होकर कहती हैं, "हे प्रभु, अब मैं समझ गई हूं कि पापी मनुष्यों के घर देवी लक्ष्मी क्यों रहती हैं. आपकी माया को कोई भी समझ नहीं सकता, और यही इसका रहस्य है."

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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