आज देशभर में बुद्ध पूर्णिमा (buddha purnima 2022) मनाई जा रही है. वैशाख माह (vaishakh month 2022) की पूर्णिमा को भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था. इसलिए, इसे बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है. इस बार ये 16 मई को मनाई जा रही है. भगवान बुद्ध महानतम आध्यात्मिक गुरुओं (gautam buddh ke anmol vichar) में से एक थे. भगवान बुद्ध द्वारा दिया गया शांति, भाईचारे और करुणा का शाश्वत संदेश समग्र विश्व को दिया था. उनके उपदेश, संदेश और विचार मनुष्यों को नैतिक मूल्यों और संतोष पर आधारित जीवन जीने की दिशा में प्रयास करने के लिए प्रेरित करते हैं.
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वैशाख-बुद्ध पूर्णिमा को गौतम बुद्ध (gautam buddha anmol vachan) के जन्म, बुद्धत्व की प्राप्ति और महा परिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है. तो, चलिए आज के दिन आपको गौतम बुद्ध के अनमोल विचारों (gautam buddha ke vichar) के बारे में बताते हैं.
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1) ध्यान के द्वारा आप ज्ञान प्राप्त करते हैं, और बिना ज्ञान के आप अज्ञानी हैं, आप इस बात को अच्छी तरह जानो की क्या आपको आगे ले जाता है और क्या आपको रोके रखता है, केवल उस मार्ग को चुनो जो आपको बुद्धिमत्ता की और ले जाता हो.
2) क्रोध को पाले रखना गर्म कोयले को किसी और पर फेंकने की नीयत से पकड़े रहने के सामान है; इसमें आप ही जलते (mahatma buddha) हैं.
3) अतीत पे ध्यान मत दो और ना ही भविष्य के बारे में सोचो. हमेशा अपने मन को वर्तमान क्षण पर ही केन्द्रित रखो.
4) हम अपने भाग्य के मालिक खुद हैं ; हम अकेले पैदा होते हैं और अकेले मृत्यु को प्राप्त होते हैं, इसलिए अपना रास्ता स्वंय बनाएं.
5) किसी परिवार को खुश, सुखी और स्वस्थ रखने के लिए सबसे जरुरी है अनुशासन और मन पर नियंत्रण. अगर कोई व्यक्ति अपने मन पर नियंत्रण कर ले , तो उसे आत्मज्ञान का रास्ता मिल जाता है.
6) आकाश के लिए पूरब और पश्चिम में कोई भेद नहीं है, परन्तु लोग अपने मन में भेदभाव को जन्म देते हैं और यही सच है ऐसा विश्वास करते रहते हैं.
7) जंगली जानवर की बजाय एक कपटी और दुष्ट मित्र से ज्यादा डरना चाहिए क्योंकि जानवर तो बस आपके शरीर को ही नुकसान पहुंचा सकता है, लेकिन एक कपटी और दुष्ट मित्र आपकी बुद्धि को हानि (bhagwan buddha) पहुंचाएगा.
8) हजारों लड़ाइयाँ जीतने से अच्छा होगा कि तुम स्वयं पर विजय हासिल कर लो. फिर जीत हमेशा तुम्हारी होगी। इसे तुमसे कोई नहीं छीन सकता, न देवता और न दानव.
9) भले ही आप पूरे ब्रह्माण्ड में कहीं भी वह व्यक्ति जो पचास लोगों से प्रेम करता है उसके पास पचास संकट हैं, और जो व्यक्ति किसी से भी प्रेम नहीं करता उसके पास कोई संकट नहीं है.
10) वह व्यक्ति जो पचास लोगों से प्रेम करता है उसके पास पचास संकट हैं, और जो व्यक्ति किसी से भी प्रेम नहीं करता उसके पास कोई संकट (bhagwan buddha ke anmol vachan) नहीं है.