हर साल श्रावण महीने की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हयग्रीव जयंती (Hayagriva Jayanti 2022) मनाई जाती है. इस दिन भगवान विष्णु ने हयग्रीव अवतार लिया था. साल 2022 में हयग्रीव जयंती 11 अगस्त, गुरुवार को मनाई जाएगी. इस दिन रक्षा बंधन का त्योहार भी पड़ रहा है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से हयग्रीव अवतार भी एक है. हरग्रीव अवतार को लेकर कईं कथाएं प्रचलित हैं. जिसमें से एक कथा मां लक्ष्मी के श्राप से जुड़ी हुई है. तो, चलिए इस दिन से जुड़ी कथाओं के बारे में जानते हैं.
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हयग्रीव अवतार कैसे लिया -
भगवान के इस रूप का वर्णन घोड़े के सिर वाला आधा मनुष्य है. दोनों का ये संयोजन मनुष्य और प्रकृति दोनों के निर्माण और इस संयोजन से निकलने वाली ऊर्जा को दर्शाता है. विष्णु ने ये अवतार मधु और कैतुभ नाम के दो राक्षसों (Lord Vishnu Hayagriva Avatar) से ब्रह्मांड की रक्षा के लिए लिया था. जिन्होंने वेदों को चुरा लिया था.
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हयग्रीव जयंती 2022 पौराणिक कथा -
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु मां लक्ष्मी को देखकर मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे. मां लक्ष्मी को लगा कि भगवान विष्णु उनका उपहास कर रहे हैं. जिसके बाद उन्होनें भगवान को श्राप दिया कि उनका सिर, धड़ से अलग हो जाए. कहते हैं कि इस श्राप में भगवान की लीला ही थी. एक दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा में थे. वे युद्ध के उपरांत थके हुए थे. उन्होंने धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाई और उस पर सिर रखकर सो गए. दूसरी ओर हयग्रीव नामक असुर महामाया को अपने तप से प्रसन्न करने में सफल रहा. उसने मां महामाया से अमरता का वरदान मांगा. जिस पर महामाया ने कहा कि जो जन्म लिया है, उसकी मृत्यु निश्चित है, इसलिए कोई दूसरा वर मांगो. तब उसने महामाया के कहा का आप मुझे यह वरदान दें कि उसके मृत्यु किसी हयग्रीव से ही हो सके. मां महामाया उसे वर देकर चली गईं.
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असुर ने सोचा कि वह अपना वध क्यों करेगा. इस प्रकार वह खुद को असर समझने लगा. जिसके बाद वह अत्याचार करने लगा. उसने ब्रह्मा जी से भी सभी वेद छीन लिया. जिसके बाद ब्रह्म देव भी परेशान हो गए. उन्होंने भगवान विष्णु को योगनिद्रा से जगाने के लिए एक कीड़े को भेजा. कीड़े ने भगवान विष्णु के धनुष की प्रत्यंचा काट दी. जिस वजह से भयानक आवाज हुई और भगवान विष्णु का सिर कट गया और फिर देखते-देखते वह सिर विलुप्त हो गया. महामाया के कहने पर ब्रह्मा जी ने एक घोड़े का मस्तक काट कर विष्णु जी के धड़ से जोड़ दिया. जिसके बाद भगवान विष्णु का हयग्रीव अवतार हुआ. इस अवतार में भगवान विष्णु असुर हयग्रीव से युद्ध करने लगे. उन्होंने उस असुर का वध कर दिया और वेदों को ब्रह्मा जी (Hayagriva jayanti 2022 katha) को सौंप दिया.