Maa Saraswati Story: माता सरस्वती हिंदू धर्म की देवी हैं. वे ज्ञान, विद्या, कला, और बुद्धि की देवी मानी जाती हैं. सरस्वती का रूप सफेद वस्त्र में होता है और उनके हाथ में वीणा और अक्षमाला होती है. वे ब्रह्मा की पुत्री हैं और त्रिदेवों की एकादशी मानी जाती हैं. सरस्वती देवी विद्या की प्रेरणा और संचालन करती हैं, और उन्हें शिक्षा और ज्ञान की देवी माना जाता है. वे संगीत, कला, साहित्य, और विज्ञान में अधिक प्रेरित करती हैं. सरस्वती पूजा वसंत पंचमी के दिन मनाई जाती है, जिसमें विद्यालयों और कला संस्थानों में उनकी पूजा की जाती है. वे विद्यार्थियों और शिक्षार्थियों के आध्यात्मिक उन्नति और सफलता के लिए आशीर्वाद प्रदान करती हैं. माता सरस्वती की पौराणिक कहानी हमें हिंदू धर्म के पुराणों में मिलती है.
माता सरस्वती की पौराणिक कहानी
एक समय की बात है, देवों और असुरों के बीच भयंकर संग्राम चल रहा था. असुरों के शक्तिशाली राजा ब्रह्मासुर ने अपनी शक्ति से देवों को पराजित किया और स्वर्ग का अधिपति बन गया.
इस समय में ब्रह्मासुर ने अपनी दुर्बलता के कारण देवों का प्रभु बनने का सपना देखा. उसने अपनी देवी के साथ तपस्या की और ईश्वर को ब्रह्मा से भी ऊपर स्थान प्राप्त किया.
इस समय में देवों की परेशानी बढ़ गई और उन्होंने भगवान विष्णु की शरण ली. विष्णु ने उन्हें सरस्वती के साथ संधि करने की सलाह दी.
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विष्णु ने उसे उसके तीर्थस्थान में आकर अपनी समस्त शक्ति का त्याग किया. इसके बाद, उन्होंने ब्रह्मासुर का वध किया और देवों को पुनः स्वर्ग में स्थान प्राप्त कराया.
इस प्रकार, माता सरस्वती ने अपनी शक्ति को समर्पित करके धर्म की रक्षा की और देवों को पुनः स्वर्ग में स्थान प्राप्त करवाया. इस कारण, वह विद्या, कला और बुद्धि की देवी के रूप में पूजी जाती हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau