Ganga Puja in Sanatan Dharma: गंगा पूजा सनातन धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक और आध्यात्मिक अनुष्ठान है. इसको हिंदू धर्म में सबसे पवित्र नदियों में से एक माना जाता है. गंगा पूजा, जिसे गंगा सप्तमी या गंगा दशहरा के रूप में भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है जो गंगा नदी के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करता है. इस पूजा का महत्व धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों दृष्टिकोणों से अत्यधिक है. यह पापों को दूर करने, मोक्ष प्राप्त करने, पितरों को तृप्त करने, ग्रहों को शांत करने और देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करने का एक माध्यम है. गंगा पूजा करने से मन और शरीर शुद्ध होता है, आध्यात्मिक उन्नति होती है, सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है और मानसिक शांति मिलती है.
गंगा पूजा, जिसे गंगोत्री या गंगा सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है. यह मां गंगा का पूजन करने का अवसर है, जिन्हें भारत की राष्ट्रीय नदी और "जीवनदायिनी" माना जाता है.
पूजा सामग्री
गंगाजल
तांबे या मिट्टी का कलश
फूल
फल
मिठाई
धूप
दीप
कपूर
नारियल
चंदन
हल्दी
सिंदूर
सुपारी
दक्षिणा
वस्त्र
पूजा विधि
सूर्योदय से पहले उठें और स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें. पूजा स्थल को स्वच्छ करें और गंगाजल से शुद्ध करें. एक तांबे या मिट्टी के कलश में गंगाजल भरकर उसे वेदी पर स्थापित करें. कलश को धूप, दीप, कपूर, नारियल, चंदन, हल्दी, सिंदूर और सुपारी से सजाएं. मां गंगा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें और उनका गंगाजल से अभिषेक करें. फूल, फल, मिठाई और अन्य पूजन सामग्री अर्पित करें. धूप जलाएं और दीप प्रज्वलित करें. मां गंगा की आरती गाएं. मां गंगा से अपनी मनोकामना व्यक्त करें. दक्षिणा, फल, मिठाई आदि दान करें. अंत में, प्रसाद ग्रहण करें.
गंगा नदी में स्नान करना चाहिए और पूजा के दौरान ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करें और मां गंगा के प्रति श्रद्धा रखें. पूजा सामग्री को नदी में प्रवाहित करते समय पर्यावरण का ध्यान रखें. प्लास्टिक का प्रयोग न करें. आप घर पर गंगा पूजा कर रहे हैं, तो आप गंगाजल को किसी पवित्र नदी या कुएं के जल से मिला सकते हैं.
गंगा पूजा का मंत्र
ॐ गंगे नमः
ॐ गंगायै नमः
ॐ गंगावतरणाय नमः
ॐ गंगातीर्थराजाय नमः
ॐ गंगापात्राय नमः
ॐ गंगाप्रदात्रे नमः
ॐ गंगापुण्यप्रदात्रे नमः
ॐ गंगामोक्षप्रदात्रे नमः
धार्मिक महत्व
गंगा नदी को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र नदियों में से एक माना जाता है. यह माना जाता है कि गंगा नदी में स्नान करने, उसके जल का पान करने और उसका पूजन करने से पापों का नाश होता है, आत्मा शुद्ध होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसे देवी का रूप भी माना जाता है. गंगा पूजा के दिन उनकी पूजा-अर्चना की जाती है और उनसे आशीर्वाद मांगा जाता है. गंगा नदी को पितृ तीर्थ भी कहा जाता है. गंगा पूजा के दिन पितरों का तर्पण किया जाता है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की जाती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गंगा पूजा के दिन गंगा नदी में स्नान करने और उसका जल ग्रहण करने से ग्रह शांत होते हैं और कुंडली में मौजूद दोषों से मुक्ति मिलती है. यह माना जाता है कि गंगा नदी में स्नान करने या गंगा जल से स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और आत्मा शुद्ध होती है. गंगा नदी को मोक्षदायिनी माना जाता है. गंगा पूजा करने और गंगा नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसे पितृ तीर्थ भी कहा जाता है. गंगा में तर्पण करने से पितरों को तृप्ति मिलती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गंगा नदी में स्नान करने या गंगा जल से स्नान करने से ग्रहों को शांत किया जा सकता है और कुंडली में मौजूद दोषों से मुक्ति मिल सकती है. गंगा पूजा करने से देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
आध्यात्मिक महत्व
गंगा नदी में स्नान करने या गंगा जल से स्नान करने से मन और शरीर शुद्ध होता है. गंगा पूजा करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है. गंगा नदी में स्नान करने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है, मन को शांति मिलती है और तनाव दूर होता है. गंगा पूजा सभी जाति, धर्म और वर्ग के लोगों को एकजुट करती है और राष्ट्रीय एकता और भाईचारे को बढ़ावा देती है. भारत के लिए जल संसाधन का महत्वपूर्ण स्रोत है. गंगा पूजा लोगों को नदी के महत्व के प्रति जागरूक करती है और उन्हें नदी को स्वच्छ रखने के लिए प्रेरित करती है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau