Mysteries Shambhala: महाकाव्यों में वर्णित शम्भाला एक अद्भुत साम्राज्य है, जिसमें कालचक्र मंडल, पिरामिड, और आयुर्वेद से जुड़े कई रहस्य छिपे हैं. शम्भाला के पहले राजा सुचंद्र ने नौ मंजिला क्रिस्टल पर्वत का निर्माण करवाया था. यहां के निवासी शारीरिक और मानसिक रूप से परिपूर्ण हैं. शम्भाला वास्तव में क्या है, ये कहां स्थित है, वहां क्या मौजूद है और हम वहां कैसे पहुंच सकते हैं आज इन सभी सवालों के जवाब जानने की कोशिश करेंगे. कई लोगों की धारणा के विपरीत शम्भाला एक शहर नहीं बल्कि एक साम्राज्य है. इस साम्राज्य में आठ क्षेत्र शामिल हैं. इस जगह के ठीक बीच में नौ मंजिला क्रिस्टल पर्वत है जिसके ऊपर कमल के आकार में कालचक्र मंडल है इस संरचना का निर्माण शम्भाला के पहले राजा सुचंद्र ने करवाया था. शम्भाला की राजधानी कलापा है.
पिरामिड और आयुर्वेद का शम्भाला से संबंध
पिरामिड चार लाख सौ साल पहले बनाए गए थे. ये विशाल पिरामिड केवल ईजिप्ट में ही नहीं है बल्कि पूरी दुनिया में फैले हुए है. अमेज़न के जंगलों में, मैक्सिको के द्वीपों पर, अटलांटिक और प्रशांत महासागरों में साथ ही चीन के रेगिस्तानों में पाए जाते हैं. हालांकि हम अपनी आधुनिक टेक्नोलॉजी के साथ भी इतने बड़े पिरामिड नहीं बना सकते तो बिना टेक्नोलॉजी वाली सभ्यताओ ने कई सौ साल पहले इन्हें कैसे बनाया, प्रत्येक पिरामिड पत्थर का वजन लगभग तीन टन होता है और प्रत्येक पिरामिड में 2.3 मिलियन ऐसे पत्थर होते हैं. उन्होंने इन पत्थरों को इतनी उचाई तक कैसे पहुंचाया.
आयुर्वेद लगभग 2500 वर्षों से पुस्तक के रूप में हमें उपलब्ध है. हालांकि इसमें उन बीमारियों की दवाएं हैं जो इस पुस्तक की रचने के 1000 साल बाद सामने आई. आयुर्वेद को भविष्य में होने वाली बीमारियों के बारे में कैसे जानकारी है? हमारे वेदों में अपग्रेड टेक्नोलॉजी के बारे में ज्ञान है जो हमारी वर्तमान समझ से परे है. जैसे बिजली और कंप्यूटर में इस्तेमाल की जाने वाली बाइनरी सिस्टम. इनका उल्लेख हमारे वेदों में बहुत पहले से किया गया था. जब पूछा गया की इन्हें तब उस काल में कैसे लिखा जा सकता था, तो जवाब था, शम्भाला. शम्भाला एक मल्टी डाइमेंशनल साम्राज्य है. वहां रहने वाले प्राणी शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से परिपूर्ण मनुष्य हैं. वे सुंदर रोग मुक्त हैं और 4000 साल तक जीवित रहते हैं.
क्या शम्भाला में रहते हैं सप्त चिरंजीवी ?
हमारे महाकाव्यों में वर्णित सभी अमर जैसे हनुमान और अश्वतामा अभी भी वहां रहते हैं. शम्भाला के निवासियों के पास असाधारण बुद्धि और सबसे अपग्रेडेड टेक्नोलॉजी है. वे टाइम ट्रैवेल कर सकते हैं, टेली पोर्ट कर सकते हैं और एलियंस से संपर्क कर सकते हैं. उनके लिए कुछ भी असंभव नहीं है क्योंकि वे भविष्य में जा सकते हैं. वे भविष्य की बीमारियों का पूर्वानुमान लगा सकते हैं और इस प्रकार आयुर्वेद में उनके लिए दवाओं का उल्लेख पहले ही कर चुके हैं. सभी वेद शम्भाला से उत्पन्न हुए हैं. अश्वतामा स्वयं कल्कि की सेना के योद्धाओं को प्रशिक्षण करते हैं. इस शानदार साम्राज्य के स्थान जब पूछा जाए, हम मनुष्य केवल तीन डाइमेंशन का अनुभव कर सकते हैं. हालांकि एक चौथा डाइमेंशन भी है जो समय और स्पेस है और हम उस तक पहुंच नहीं सकते. चौथे डाइमेंशन से परे पांचवां डाइमेंशन है, जिसे गॉड डाइमेंशन के रूप में जाना जाता है. इस डाइमेंशन तक देवताओं और कुछ जीवों द्वारा पहुंचा जा सकता है.
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शम्भाला कैसे पहुंचे ?
हमारे शरीर में सात चक्र होते है जिन्हें एनर्जी फ्लो गेट्स कहा जाता है. इसी तरह पृथ्वी में भी हमारे चक्रों के समान एनर्जी फ्लो गेट्स है. अगर हम अपने शरीर में चक्रों तक पहुंच सकते हैं तो हम अन्य डाइमेंशन तक पहुंच सकते हैं. हम एक साथ कई स्थानों पर हो सकते हैं, 1 मिनट में पृथ्वी की यात्रा कर सकते हैं, समय और स्थान को मोड़ सकते हैं और टाइम ट्रैवेल कर सकते हैं. यही कारण है की कई महर्षि, बाबा, संत इसे प्राप्त करने के प्रयास में हिमालय जाते हैं. पिरामिड पृथ्वी पर एनर्जी पॉइंट है. पिरामिड में ध्यान करने से घर पर ध्यान करने की तुलना में ध्यान करने का प्रभाव कई गुना अधिक बढ़ जाते हैं. पृथ्वी पर सबसे उच्च ऊर्जा है. निरजी रिसोर्स हिमालय में है. हिमालय में ध्यान करने से सामान्य ध्यान की तुलना में प्रभाव 1000 गुना अधिक बढ़ जाता है. यही कारण है कि संत हिमालय जाते हैं.
जो लोग अपने चक्रों को सक्रिय करते हैं और अन्य डाइमेंशन तक पहुंच सकते हैं, वे शम्भाला के राज्य को देख सकते हैं. शम्भाला एक मल्टी डायमेंशन राज्य है जो सामान्य मनुष्यों के लिए अदृश्य है. इसे सेटेलाइट फुटेज, गूगल मैप्स या जी पी एस सिस्टम में नहीं दिखाया जा सकता है. शम्भाला को देखने के लिए हमारी ऊर्जा का प्रवाह हिमालय में पाई जाने वाली फ्रीक्वेन्सी से मिलना चाहिए. उदाहरण के लिए, यदि आपके मोबाइल फ़ोन में एयरटेल सिम कार्ड है और आप अपने बेडरूम से किसी मित्र को कॉल करते हैं लेकिन सिग्नल नहीं है तो आप क्या करते हैं? आप बाहर ऐसी जगह जाते हैं जहां सिग्नल कनेक्ट होता है और फिर बात करते हैं, है ना? इसी तरह शम्भाला तक पहुंचने के लिए व्यक्ति को हिमालय में पाए जाने वाली फ्रीक्वेन्सी के साथ मिलना चाहिए.
क्या अब तक किसी ने शम्भाला देखा है ?
शम्भाला साम्राज्य जिस डाइमेंशन में मौजूद है उस तक पहुंचने के लिए आपको फ्रीक्वेन्सी से तालमेल बिठाना होगा, जो हिमालय में आसानी से उपलब्ध है. इसीलिए लोग अक्सर कहते हैं कि शम्भाला हिमालय में है. अगर हम अपनी डाइमेंशन चेतना को सक्रिय कर सकें तो हम अपने घरों से ही शम्भाला को देख सकते हैं. शम्भाला हिमालय में नहीं है, यह आपके दिमाग में है. जब पूछा गया कि क्या किसी ने शम्भाला तक पहुंचने की कोशिश की है तो जवाब हाँ है. पिछले 2000 सालो में हजारों लोगों ने कोशिश की है. उनमें हिटलर के साथ साथ निकोलस रोयरिच नामक एक रिसर्चर भी शामिल थे. तब बैठ काल चक्र मंत्र पुस्तक के आधार पर रॉय रिच ने 1924 से 1928 तक शम्भाला तक पहुंचने की कोशिश की. उनकी मुख्य प्रेरणा चिंतामणि नामक एक चमत्कारी पत्थर था. ऐसा कहा जाता है कि यह पत्थर आसमान से गिरा था और इसमें कई चमत्कार हैं. इसे अपने हाथ में रखने पर आप जो भी चाहते हैं वह तुरंत हो जाता है और आप जहां चाहे यात्रा कर सकते हैं. सरल शब्दों में कहें तो इस शक्तिशाली चिंतामणि से कोई भी विश्व पर विजय प्राप्त कर सकता है. ऐसा माना जाता है कि यह पत्थर वर्तमान में स्थित हैं. हालांकि रॉय रिच इसे प्राप्त नहीं कर सके और उन्होंने अपने अनुभवों को अपनी पुस्तक में दर्ज किया. इसके अलावा सिकंदर महान ने भी दुनिया को जीतने की कोशिश की और शम्भाला की खोज की. अपनी विजय के दौरान वे कई वैदिक विद्वानों को साथ लेकर गए. इस खोज में वे भारत आए जहां उनका सामना राजा पोरस से हुआ. युद्ध में पराजित होने के बावजूद पोरस ने सिकंदर के सामने आत्मसमर्पण नहीं किया. मजदूरी से प्रभावित होकर सिकंदर ने उसे अपना राज्य बनाए रखने दिया. अपनी वापसी यात्रा पर सिकंदर हिमालय आया और शम्भाला की खोज शुरू की.
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ये कहानियां बताती हैं कि लोग शम्भाला को खोजने के लिए किस हद तक गए हैं. इसके गहन रहस्यों और शक्तिशाली अवशेषों के आकर्षण से प्रेरित होकर मुख्य बात ये है कि शम्भाला एक मल्टी डाइमेंशन राज्य है जहां मल्टी डायमेंशन चेतना के माध्यम से पहुंचा जा सकता है. कुछ ऐसा जिसे कई लोग हिमालय के आध्यात्मिक रूप से स्थित वातावरण में खोजते हैं. अपनी खोज के दौरान सिकंदर महान को एक नदी मिली जिसे कहा जाता है. ऐसा कहा जाता था कि इसका पानी पीने से अमृता प्राप्त होती है. हालांकि अपने आसपास ऐसे कई लोगों को देखकर जो हजारों सालो से जीवित थे लेकिन हिलने ढुलने में असमर्थ थे. सिकंदर को एहसास हुआ की हिलने डुलने की क्षमता के बिना हमेशा के लिए जीना व्यर्थ है. उसने पानी ना पीने का फैसला किया और शम्भाला की खोज छोड़ दी.
कई लोगों ने शम्भाला को देखने और वापस लौटने का दावा किया है. उनका कहना है कि वे केवल अपने चक्रों को सक्रिय करके ही वहां पहुंचे हैं. केवल शुद्ध हृदय प्रेम और बुद्धि वाले लोग ही शम्भाला को देख और अनुभव कर सकते हैं. उन्नीसवीं शताब्दी में हिमालय में कई नागरिक और सीमा सैनिकों ने गोल्डन सॉसर को देखने की सूचना दी थी, जिन्हें शम्भाला के एनर्जी गेट माना जाता है. शम्भाला फिजिकल और स्पिरिचुअल डाइमेंशन के बीच मौजूद है. हमारे ग्रह के लिए यह वैसा ही है जैसा हृदय हमारे शरीर के लिए है. जैसे अशुद्ध रक्त हृदय द्वारा शुद्ध किया जाता है, वैसे ही पृथ्वी के अशुद्ध जल को शम्भाला के नीचे बहने से शुद्ध किया जाता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau