ज्येष्ठ माह (jyeshtha month 2022) शुरु हो चुका है. जिसमें कुछ दिनों के बाद कालाष्टमी व्रत आने वाला है. ये व्रत हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भैरवनाथ भगवान भोलेनाथ के क्रोध से उत्पन्न हुए हैं. काल भैरव का मतलब काल रूपी भय को हरने वाला होता है. जो भक्त बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए काशी (Jyeshtha Kalashtami Vrat 2022) जाते हैं, उन्हें काल भैरव का दर्शन करना होता है. कहा जाता है कि उनके दर्शन के बिना बाबा विश्वनाथ का दर्शन पूरा नहीं होता है.
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माना जाता है कि ज्येष्ठ मास की कालाष्टमी के व्रत से कष्ट, दुख, भय, पाप और नकारात्मकता दूर हो जाती है. बाबा काल भैरव की पूजा करने से भय, कष्ट, दुख, पाप, नकारात्मकता आदि दूर होती है. कालाष्टमी व्रत को काल भैरव जयंती के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान भैरव के भक्त उपवास रखते हैं और विधि-विधान से काल भैरव की पूजा-अर्चना करते हैं. तो, चलिए आपको बताते हैं कि कालाष्टमी के व्रत का महत्व और पूजा विधि (kalashtami dates 2022) क्या है.
कालाष्टमी व्रत 2022 पूजा विधि
अष्टमी के दिन सुबह-सुबह काल ब्रह मुहूर्त में स्नान करके शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना करनी चाहिए. अगर आप इस दिन घर पर हैं तो काला आसन बिछाकर उसके ऊपर भगवान शिव की प्रतिमा को रखें. इसके साथ में मां पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करें. उसके बाद विधि-विधान से पूजा अर्चना करके आरती करें. ऐसा करने से समस्त भय को हरने वाले बाबा काल भैरव की कृपा प्राप्त होगी. घर धन-धान्य से परिपूर्ण (kalashtami 2022 puja vidhi) होगा.
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कालाष्टमी 2022 काल भैरव की पूजा का महत्व
माना जाता है कि इस दिन बाबा काल भैरव की पूजा करने से असाध्य रोग से मुक्ति मिलती है. कहा जाता है कि काल भैरव की कृपा से अकाल मृत्यु का भय भी मिट जाता है. इसके साथ ही उनके पूजा से नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं. इसके अलावा शत्रु भी शांत रहते हैं. काल भैरव को तंत्र मंत्र का देव माना जाता है. उनकी पूजा करने से ग्रह दोष भी दूर हो जाते हैं. जिन लोगों को अपने शत्रुओं और विरोधियों से डर रहता है. उनको काल भैरव की पूजा अवश्य (Significance Of Kalashtami Vrat 2022) करनी चाहिए.