साल 2022 में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2022) 1 जुलाई से शुरू हो चुकी है. रथ यात्रा का समापन 12 जुलाई को होगा. जगन्नाथ यात्रा का विशेष महत्व बताया गया है. इस दौरान भगवान जगन्नाथ और उनके भाई बलराम व बहन सुभद्रा को एक ही रथ में बैठाकर यात्रा निकाली जाती है. इस दिन भगवान जगन्नाथ अपने भाई-बहन के साथ जिस रथ (puri jagannath rath yatra) पर सवार होते हैं. उसमें कोई कील नहीं लगाई जाती है.
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इसमें किसी तरह की धातु का प्रयोग नहीं किया जाता है. ये रथ (lord jagannath rath yatra) नीम की लकड़ी का बना होता है और इसे बनाने के लिए लकड़ी का चयन बसंत पंचमी के दिन शुरू हो जाता है. सारी सामग्री जुटाने के बाद रथ को बनाने का कार्य अक्षय तृतीया से शुरू होता है. तो, चलिए आज आपको भगवान जगन्नाथ यात्रा (rath yatra of lord jagannath puri) जिस रथ में सवार होकर जाते हैं. उसकी विशेषता के बारे में बताते हैं.
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जगन्नाथ के रथ की खासियत -
यात्रा में कुल तीन रथ होते हैं जिसमें सबसे ऊंचा रथ भगवान जगन्नाथ का होता है. इस रथ का नाम 'नंदीघोष' होता है. इसकी ऊंचाई 45.05 फुट होती है. यह रथ पीले और लाल रंग का होता है. जबकि बलराम के रथ का नाम 'तालध्वज' होता है जिसकी ऊंचाई 45 फुट होती है. यह रथ लाल और हरे रंग का होता है. भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा के रथ का नाम 'दर्प दलन' होता है और इसकी ऊंचाई 44.06 फुट होती है. यह रथ काले और लाल रंग (jagannath rath yatra speciality) का होता है.
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रथ यात्रा में क्यों शामिल होते हैं श्रद्धालु -
तीनों रथों में देवी-देवता को स्थापित करने के बाद श्रद्धालु इस रथ को खींचते हैं और रथ यात्रा में शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त करते हैं. ऐसा माना जाता है कि जो लोग रथ यात्रा में शामिल होते हैं और रथ को खींचने का पुण्य प्राप्त करते हैं, उनके जीवन में चल रही तमाम परेशानियां दूर हो जाती हैं. भगवान जगन्नाथ हमेशा उनकी मनोकामना (jagannath rath yatra 2022 date) पूरी करते हैं.
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सोने की झाड़ू से होती है सफाई -
भगवान जगन्नाथ के रथ में कुल 16 पहिये होते हैं और ये अन्य दोनों रथों की तुलना में बड़ा होता है. जब ये रथ तैयार हो जाता है तो पुरी के राजा गजपति की पालकी आती है, जो इन रथों की पूजा करते हैं. एक परंपरा ये भी है कि राजा सोने की झाड़ू से रथ के मंडप को साफ करते हैं. इसके बाद रथ यात्रा के रास्तों को भी ऐसे ही साफ किया जाता है. इस परंपरा को 'छर पहनरा' (jagannath rath yatra 2022 facts) कहा जाता है.