महावीर स्वामी (lord mahavir) जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर है. इस साल महावीर जयंती का पर्व 16 अप्रैल को मनाया जाएगा. इनका जन्म भारत में 599 ईसा पूर्व एक शाही दंपती के यहां हुआ था. हालांकि, महावीर स्वामी एक शाही परिवार में पैदा हुए थे और उनका जीवन बेहद ही सुखमय था. लेकिन, उन्होंने बहुत ही कम उम्र से अपने आप को सभी सांसारिक चीजों से दूर कर लिया था. तीस वर्ष की आयु में महावीर जी ने अपने परिवार और राज्य को छोड़ दिया. महावीर स्वामी ने एक तपस्वी के रूप में 12 वर्षों तक काफी संघर्षपूर्ण जीवन व्यतीत किया था. उन्होंने इसी दौरान अपने वस्त्रों को भी त्याग दिया था. इस प्रकार महावीर ने अतीत, वर्तमान और भविष्य के बारे में संपूर्ण ज्ञान बयालिस वर्ष की आयु में प्राप्त (mahavir jayanti 2022) कर लिया था.
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महावीर स्वामी की शिक्षा
जैन धर्म के 24वें तीर्थकर महावीर स्वामी जी (mahavir jayanti 2022 date) ने अपनी तपस्या के दौरान ही अपनी शिक्षाओं और उपदेशों के आधार से लोगों को जीवन जीने की रीत बताई थी. इसके साथ ही सत्य और अहिंसा के पथ पर चलने का ज्ञान भी प्रदान किया. महावीर स्वामी के द्वारा बताई गई शिक्षाएं और उपदेश ही जैन धर्म के प्रमुख पंचशील सिद्धांत रूप में आज भी मौजूद है. उनके दिए गए सिद्धांतों में सत्य, अपरिग्रह, अस्तेय, अहिंसा और ब्रह्रमचर्य का समावेश होता है. पशु के प्रति होने वाले अत्याचार, पशु को बलि चढ़ाने की कुपरम्परा और हिन्दू समाज में व्याप्त हो रहे लोगों के भीतर चल रहा जातिवाद का विरोध भगवान महावीर ने किया था. जिसके साथ-साथ इन सिद्धान्तों और शिक्षाओं को आचरण में आकर कोई भी इंसान एक सच्चा जैन अनुयायी बन सकता है उसका संदेश प्रदान (mahavir swami ki shiksha) किया.
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महावीर स्वामी के 11 गणधरों के नाम (lord mahavir 11 gandhar)
इंद्रभूति गौतम
अग्निभूमि गौतम
वायुभूमि गौतम
मंडिकपुत्र वशिष्ठ मौर्य
व्यक्त भारद्वाज कोल्लक
सुधर्मण अग्निवेश्यायन कोल्लक
भौमपुत्र कासव मौर्य
अकंपित गौतम
अचलभ्राता हिभाण
मेतार्य कौंडिन्य तुंगिक
प्रभास कौंडिन्य