आपने शादी-शुदा महिलाओं को पैरों में अक्सर बिछिया (toe ring) पहने हुए देखा होगा. ये सुहागिन महिलाओं की निशानी होती है. बिछिया विवाहित महिलाओं के सोलह श्रृंगार का हिस्सा होती है. सनातन धर्म में बिछिया को शादी-शुदा महिलाओं का आभूषण या गहना माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार, बिछिया महिला को उसके पति के साथ जोड़े (toe ring religion importance) रखता है. बिछिया सुहाग का प्रतीक होता है. इसलिए देवी की पूजा में उन्हें अर्पित किया जाता है. लेकिन, चलिए आज जानते हैं कि आपको किस धातु की बिछिया नहीं पहननी चाहिए और साथ ही ये भी बताएंगे कि बिछिया पहनने के नियम (toe ring rules) क्या होते हैं.
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सोने की बिछिया न पहनें -
शादीशुदा महिलाओं को सोने की नहीं बल्कि, चांदी की बिछिया पहननी चाहिए. शास्त्रों में सोने को देवी लक्ष्मी का रूप माना जाता है. कहा जाता है कि कमर के नीचे सोने के आभूषण पहनने से देवी लक्ष्मी का अनादर होता है. चांदी चंद्रमा का प्रतीक होता है. इसलिए, हमेशा चांदी की बिछिया ही पहनें. वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो चांदी धरती की पोलर ऊर्जाओं को सोखकर हमारे शरीर में पहुंचाती है. कहा जाता है कि बिछिया पहनने से महिलाओं के शरीर से नकारात्मकता दूर (gold toe ring) हो जाती है.
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बिछिया पहनने के नियम -
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, पैरों की बिछिया का खो जाना अशुभ माना जाता है. सुहागिन के श्रृंगार की हर वस्तु का संबंध पति से होता है. बिछिया खोने से पति के स्वास्थ पर नकारात्मक असर पड़ता है. बिछिया गुम हो जाए तो, तुरंत दूसरी बिछिया पहन लें. इसके साथ ही अपने पैरों में पहनी बिछिया कभी दूसरी स्त्री को न दें. माना जाता है कि ऐसा करने से पति पर कर्ज बढ़ (toe ring niyam) सकता है.