Advertisment

Masik Durga Ashtami 2022 Katha: मासिक दुर्गाष्टमी पर पढ़ेंगे ये कथा, मां करेंगी जीवन से दूर हर व्यथा

फाल्गुन माह में दुर्गाष्टमी का पर्व 8 जून (masik durga ashtami 2022 date) को पड़ रहा है. धार्मिक दृष्टि से मासिक दुर्गाष्टमी का विशेष महत्व होता है. तो, चलिए आपको इस दिन से जुड़ी कथा (masik durga ashtami 2022 katha) के बारे में बताते हैं. 

author-image
Megha Jain
New Update
Masik Durga Ashtami 2022 Katha

Masik Durga Ashtami 2022 Katha( Photo Credit : social media )

Advertisment

इस समय ज्येष्ठ माह का शुक्ल पक्ष चल रहा है. हर महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी (Masik Durgashtami 2022) के रूप में मनाया जाता है. फाल्गुन माह में दुर्गाष्टमी का पर्व 8 जून (masik durga ashtami 2022 date) को पड़ रहा है. धार्मिक दृष्टि से मासिक दुर्गाष्टमी का विशेष महत्व होता है. माना जाता है कि इस दिन विधि-विधान से व्रत करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों के सभी दुखों को दूर करती हैं. तो, चलिए आपको इस दिन से जुड़ी कथा (masik durga ashtami 2022 katha) के बारे में बताते हैं. 

यह भी पढ़े : Masik Durga Ashtami 2022 Significance and Donts: मासिक दुर्गाष्टमी पर नहीं करेंगे ये गलतियां, मां करेंगी हर मुसीबत से रक्षा

मासिक दुर्गाष्टमी 2022 कथा 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, प्राचीन काल में असुर दंभ को महिषासुर नाम के एक पुत्र की प्राप्ति हुई थी. जिसके भीतर बचपन से ही अमर होने की प्रबल इच्छा थी. अपनी इसी इच्छा को पूरा करने के लिए उसने अमर होने का वरदान हासिल करने के लिए ब्रह्मा जी की घोर तपस्या आरंभ की. महिषासुर द्वारा की गई इस कठोर तपस्या से ब्रह्मा जी प्रसन्न भी हुए और उन्होंने वैसा ही किया जैसा महिषासुर चाहता था. ब्रह्मा जी ने खुश होकर उसे मनचाहा वरदान मांगने को कहा. ऐसे में महिषासुर, जो सिर्फ अमर होना चाहता था. उसने ब्रह्मा जी से वरदान मांगते हुए खुद को अमर करने के लिए उन्हें बाध्य (masik durga ashtami 2022 vrat) कर दिया.

यह भी पढ़े : Falling Things Considered Inauspicious: हाथों से इन चीजों का गिरना माना जाता है अशुभ, बढ़ती हैं बीमारियां और कर्ज जाता है चढ़

लेकिन, ब्रह्मा जी ने महिषासुर को अमरता का वरदान देने की बात ये कहते हुए टाल दी कि जन्म के बाद मृत्यु और मृत्यु के बाद जन्म निश्चित है. इसलिए, अमरता जैसी किसी बात का कोई अस्तित्व नहीं होता है. जिसके बाद ब्रह्मा जी की बात सुनकर महिषासुर ने उनसे एक अन्य वरदान मानने की इच्छा जताते हुए कहा कि ठीक है स्वामी, अगर मृत्यु होना तय है तो मुझे ऐसा वरदान दे दीजिए कि मेरी मृत्यु किसी स्त्री के हाथ से ही हो. इसके अलावा अन्य कोई दैत्य, मानव या देवता, कोई भी मेरा वध (masik durga ashtami 2022 significance) ना कर पाए. 

यह भी पढ़े : Birthmark Meaning: शरीर के इन अंगों पर मौजूद होता है बर्थ मर्क, जीवन में पाते हैं तरक्की और सफलता

जिसके बाद ब्रह्मा जी ने महिषासुर को दूसरा वरदान दे दिया. ब्रह्मा जी द्वारा वरदान प्राप्त करते ही महिषासुर अहंकार से अंधा हो गया और इसके साथ ही उसका अन्याय भी बढ़ गया. मौत के भय से मुक्त होकर उसने अपनी सेना के साथ पृथ्वी लोक पर आक्रमण कर दिया. जिससे धरती चारों तरफ से त्राहिमाम-त्राहिमाम होने लगी. उसके बल के आगे समस्त जीवों और प्राणियों को नतमस्तक होना ही पड़ा. जिसके बाद पृथ्वी और पाताल को अपने अधीन करने के बाद अहंकारी महिषासुर ने इन्द्रलोक पर भी आक्रमण कर दिया. जिसमें उन्होंने इन्द्र देव को पराजित कर स्वर्ग पर भी कब्ज़ा कर लिया. 

यह भी पढ़े : Aarti Significance, Meaning and Vidhi: आरती करने का जानें महत्व, अर्थ और सही विधि, परमपद की होगी प्राप्ति

महिषासुर से परेशान होकर सभी देवी-देवता, त्रिदेवों के पास सहायता मांगने के लिए पहुंचे. इस पर विष्णु जी ने उसके अंत के लिए देवी शक्ति के निर्णाम की सलाह दी. जिसके बाद सभी देवताओं ने मिलकर देवी शक्ति को सहायता के लिए पुकारा और इस पुकार को सुनकर सभी देवताओं के शरीर में से निकले तेज ने एक अत्यंत खूबसूरत सुंदरी का निर्माण किया. उसी तेज से निकली मां आदिशक्ति जिसके रूप और तेज से सभी देवता भी आश्चर्यचकित हो गए. 

यह भी पढ़े : Vastu Tips For Cooler Direction: घर की इस दिशा में रखेंगे कूलर, बढ़ेगी सुख-समृद्धि और धन बरसेगा अपार

त्रिदेवों की मदद से निर्मित हुई देवी दुर्गा को हिमवान ने सवारी के लिए सिंह दिया और इसी प्रकार वहां मौजूद सभी देवताओं ने भी मां को अपने एक-एक अस्त्र-शस्त्र सौंपे और इस तरह स्वर्ग में देवी दुर्गा को इस समस्या हेतु तैयार किया गया. माना जाता है कि देवी का अत्यंत सुन्दर रूप देखकर महिषासुर उनके प्रति बहुत आकर्षित होने लगा और उसने अपने एक दूत के जरिए देवी के पास विवाह का प्रस्ताव तक पहुंचाया. अहंकारी महिषासुर की इस ओच्छी हरकत ने देवी भगवती को अत्याधिक क्रोधित कर दिया. जिसके बाद से ही मां ने महिषासुर को युद्ध के लिए ललकारा. 

यह भी पढ़े : Chanakya Niti About Qualities of Women: महिलाओं में होते हैं अगर ऐसे गुण, जीवन को बना देती हैं स्वर्ग से भी सुंदर

मां दुर्गा से युद्ध की ललकार सुनकर ब्रह्मा जी से मिले वरदान के अहंकार में अंधा महिषासुर उनसें युद्ध करने के लिए तैयार भी हो गया. इस युद्ध में एक-एक करके महिषासुर की संपूर्ण सेना का मां दुर्गा ने सर्वनाश कर दिया. इस दौरान ये भी माना जाता है कि ये युद्ध पूरे नौ दिनों तक चला जिसके दौरान असुरों के सम्राट महिषासुर ने विभिन्न रूप धककर देवी को छलने की कई बार कोशिश की. लेकिन, उसकी सभी कोशिश आखिरकार नाकाम रही और देवी भगवती ने अपने चक्र से इस युद्ध में महिषासुर का सिर काटते हुए उसका वध कर दिया. अंत में इस तरह देवी भगवती के हाथों महिषासुर की मृत्यु संभव हो पाई. माना जाता है कि जिस दिन मां भगवती ने स्वर्ग लोक, पृथ्वी लोक और पाताल लोक को महिषासुर के पापों से मुक्ति दिलाई उस दिन से ही दुर्गा अष्टमी (masik durga ashtami) का पर्व प्रारम्भ हुआ. 

masik durga ashtami 2022 masik durga ashtami 2022 vrat vidhi Masik Durga Ashtami 2022 katha masik durga ashtami 2022 importance masik durga ashtami 2022 significance masik durga ashtami 2022 mistakes masik durga ashtami 2022 vrat
Advertisment
Advertisment
Advertisment