भगवान शिव (lord shiva) यानी कि मां पार्वती के पति शंकर जिन्हें महादेव, भोलेनाथ, आदिनाथ आदि कहा जाता है. इनका एक नाम त्रिपुरारी भी है. सर्वप्रथम शिव ने ही धरती पर जीवन के प्रचार-प्रसार का प्रयास किया इसलिए उन्हें 'आदिदेव' भी कहा जाता है. आदिनाथ होने की वजह से उनका एक नाम 'आदिश' भी है. जिस तरह से ब्रह्मा जी इस सृष्टि के रचनाकार हैं और विष्णु जी पालक हैं. उसी तरह से शिव जी (interesting facts about shiva) सृष्टि के संहारक हैं. उनकी वेश-भूषा, रहन-सहन सब विचित्र है. कैलाश पर रहने वाले देवों के देव महादेव से जुड़े कई ऐसे रहस्य हैं. जिनके बारे में शायद आप नहीं जानते होंगे. ऐसे में आज हम आपको उन्हीं से जुड़े कुछ रहस्यों (some interesting facts about bholenath) के बारे में बताने जा रहे हैं.
शिव के अस्त्र-शस्त्र
शिव का धनुष पिनाक, चक्र भवरेंदु और सुदर्शन, अस्त्र पाशुपतास्त्र और शस्त्र त्रिशूल है. उक्त सभी का उन्होंने ही निर्माण (shiv astra shastra) किया था.
भगवान शिव का नाग
भगवान शिव के गले में जो नाग लिपटा रहता है उसका नाम वासुकि है. ये शेषनाग के बाद नागों का दूसरा राजा था. वासुकि के बड़े भाई का नाम शेषनाग है. शिवजी ने खुश होकर इसे गले में डालने का वरदान दिया था.
शिव के शिष्य
शिव के 7 शिष्य हैं जिन्हें प्रारंभिक सप्तऋषि माना गया है. इन ऋषियों ने ही शिव के ज्ञान को संपूर्ण धरती पर प्रचारित किया जिसके चलते भिन्न-भिन्न धर्म और संस्कृतियों की उत्पत्ति हुई. शिव ने ही गुरु और शिष्य परंपरा की शुरुआत की थी. शिव के शिष्य - बृहस्पति, विशालाक्ष, शुक्र, सहस्राक्ष, महेन्द्र, प्राचेतस मनु, भरद्वाज हैं. इसके अलावा 8वें गौरशिरस मुनि भी थे.
शिव के गण
शिव के गणों में भैरव, वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, श्रृंगी, भृगिरिटी, शैल, गोकर्ण, घंटाकर्ण, जय और विजय प्रमुख हैं. इसके अलावा, पिशाच, दैत्य और नाग-नागिन, पशुओं को भी शिव का गण माना जाता है.
यह भी पढ़े : Vastu Tips For Bird Picture: घर की इस दिशा में लगाएंगे पक्षियों की तस्वीर, नकारात्मक ऊर्जा से मिलता है छुटकारा
शिव की गुफा
शिव ने भस्मासुर से बचने के लिए एक पहाड़ी में अपने त्रिशूल से एक गुफा बनाई और वे फिर उसी गुफा में छिप गए. वह गुफा जम्मू से 150 किलोमीटर दूर त्रिकूटा की पहाड़ियों पर है. दूसरी ओर भगवान शिव ने जहां पार्वती को अमृत ज्ञान दिया था वह गुफा 'अमरनाथ गुफा' के नाम से प्रसिद्ध है.
शिव चिह्न
वनवासी से लेकर सभी साधारण लोग जिस चिह्न की पूजा कर सकें. उस पत्थर के ढेले, बटिया को शिव का चिह्न माना जाता है. इसके अलावा रुद्राक्ष और त्रिशूल को भी शिव का चिह्न माना गया है. कुछ लोग डमरू और अर्द्ध चन्द्र को भी शिव का चिह्न मानते हैं. हालांकि, ज्यादातर लोग शिवलिंग अर्थात शिव की ज्योति का पूजन (shiv signs) करते हैं.