जिस तरह से आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में जीवन के कई पहलुओं के बारे में बताया है. उसी तरह से विदुर नीति (Vidur niti) में भी मनुष्य के जीवन को सफल बनाने के लिए कई तरह की बातें बताई गईं है. कहा जाता है कि जो व्यक्ति इन बातों का अनुसरण अपने जीवन में कर लेता है तो, उसके सारे दुख दूर हो जाते हैं. ऐसा ही कुछ विदुर नीति (Vidur niti for success) में बताया जा रहा है. दरअसल, विदुर नीति में कुछ आदतों के बारे में बताया गया है जो लोगों को कभी सुखी नहीं रहने देती हैं. लेकिन, जो लोग इन आदतों का त्याग कर देते हैं उनका जीवन (Vidur niti for career) सुख से भर जाता है. तो, चलिए जानते हैं कि वे आदतें कौन-सी है.
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गुस्सा -
वैसे ज्यादा गुस्सा सेहत के लिए अच्छा नहीं होता. क्योंकि ज्यादा गुस्सा करने की आदत व्यक्ति का जीवन बर्बाद कर देती है. क्रोध में इंसान अपना विवेक खो देता है. उसे अच्छे बुरे की पहचान नहीं रहती. ऐसे में क्रोधी इंसान हमेशा दुखी (anger) ही रहता है.
असंतोष -
कहा जाता है कि लोग जितने संतोषी होंगे उतना ही उसका जीवन अच्छा बीतेगा. जिस व्यक्ति को किसी चीज का संतोष नहीं रहता वो हमेशा दुखी ही रहता है. इंसान को अपनी चीजों में संतोष रखना चाहिए क्योंकि हर चीज हर किसी को प्राप्त (dissatisfaction) नहीं हो सकती.
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शक -
शक करने की आदत किसी भी व्यक्ति का जीवन बर्बाद कर सकती है. जो लोग हद से ज्यादा संदेह करते हैं वे हमेशा दुखी ही रहते हैं. क्योंकि शक करने वाला व्यक्ति हमेशा (doubt) डरता रहेगा.
ईर्ष्या -
जो व्यक्ति दूसरों से ईर्ष्या करता है वो कभी सुख से नहीं रह सकता. ऐसे लोग अपने पास सबकुछ होते हुए भी दूसरों को देखकर हर समय जलता (envy) रहते हैं.