पितृपक्ष शब्द (pitru paksha significance) सुनते या पढ़ते ही मन में पूर्वजों की तस्वीर और उनकी स्मृतियां ध्यान आने लगती है. इसके साथ ही उनके प्रति श्रद्धा भी उत्पन्न होती है. पितृपक्ष एक ऐसा अवसर है. जिसमें नई पीढ़ी को अपने ज्ञात पूर्वजों के बारे में बताना चाहिए. लेकिन, आज हालात ऐसे हो गए हैं कि नई पीढ़ी (pitru paksha rules) को अपने माता-पिता के अलावा बाबा तक का नाम मालूम नहीं होता है. हमेशा न सही, लेकिन साल के 15 दिनों में ही कभी आप अपने पूर्वजों के बारे में नई पीढ़ी को बता सकें या आपको नहीं मालूम है तो पता कर सकें तो ये भी एक प्रकार का पितरों (pitru paksha food offering) को प्रणाम है. इसको अपने ऊपर लेकर सोचना चाहिए कि हम रात-दिन बच्चों के भविष्य के लिए मेहनत कर रहे हैं, लेकिन यदि आपका पौत्र आपका अभिवादन तक नहीं करता हो तो आत्मा को बहुत कष्ट होगा.
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इस दिन करें श्राद्ध कर्म -
दो-तीन पीढ़ी ऊपर के पूर्वजों को तो सभी जानते हैं, क्योंकि वे आपसे जुड़े भी रहे हैं. उनका श्राद्ध देह त्याग की तिथि को ही करना चाहिए. लेकिन, जिन पूर्वजों की तिथि के बारे में आपको नहीं पता है. उनका श्राद्ध अमावस्या (pitru paksha offering water) को करना शास्त्रों में बताया गया है.
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शीघ्र उपयोग में आने वाली वस्तुएं ही दान में दें -
श्राद्ध में ध्यान देने वाली बात ये होती है कि जिस इंसान के लिए जो वस्तुएं आप खरीद रहे हैं या दान रूप में दे रहे हैं. वे उनके शीघ्र ही काम आने वाली हों. ऐसा न हो कि आप जिन वस्तुओं पर आप धन खर्च करें. वे वस्तुएं लंबे समय तक बिना काम के पड़ी रहें. जिसका श्राद्ध करें, उनकी पसंद की चीजें ही दान करें. पसंद में भी एक बात याद रखें कि पसंद सकारात्मक होनी चाहिए. उदाहरण - यदि दादा जी को शराब पसंद थी तो उनको प्रसन्न करने के लिए शराब पीने और पिलाने लगें. ऐसी भूल कभी (pitru paksha meaning) भी न करें.