राजस्थान में ऐसे तो कई मंदिर है. लेकिन, राजस्थान में (famous hanuman mandir in rajasthan) सालासर बालाजी, मोती डूंगरी, ब्रह्माजी के मंदिर जैसे कई चमत्कारी मंदिर है. लेकिन, वहां एक ऐसा प्रसिद्ध मंदिर भी है. जहां जाने से भक्तों को डर लगता है. मंदिर में चीखने-चिल्लाने की आवाजें आती रहती हैं. जी हां, हम राजस्थान के दौसा जिले में स्थित मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की बात कर रहे हैं. जयपुर से करीब 100 किलोमीटर दूर मेहंदीपुर बालाजी (rajasthan mehandipur balaji temple) का मंदिर स्थित है. ये धाम भगवान (hanuman mandir) के दस प्रमुख सिद्दपीठों में गिना जाता है. लोगों का कहना है कि इस स्थान पर हनुमान जी जागृत अवस्था में विराजते हैं. यही वजह है कि अगर किसी भक्त पर भूत-प्रेत का साया हो तो वह मंदिर आने से दूर हो जाता है.
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भाग जाते हैं भूत
मेहंदीपुर बाालजी में आने वाले भक्तों का कहना है कि जिन लोगों पर बुरी आत्माओं या भूत-प्रेत का वास होता है. वे यहां मंदिर में प्रवेश करते ही चिखने-चिल्लाने लगते हैं. फिर बुरी आत्मा उस इंसान को छोड़कर उसके शरीर से बाहर निकल जाती है. कहा जाता है कि बालाजी महाराज के हजारों गण यहां बालाजी के रोजाना लगने वाले भोग की खुशबू से तृप्त हो रही हैं. इसलिए भूत-प्रेत से परेशान लोग यहां आकर ठीक (salasar hanuman mandir) होकर ही जाते हैं.
भक्तों को होता है अलग एहसास
इस मंदिर की सबसे खास बात यहां का वातावरण है. मंदिर में जाने वाले भक्तों ने मंदिर में अलग तरह का वातावरण महसूस किया है. यहां आने के बाद भक्तों को रीढ़ की हड्डी में ठंड (mehandipur balaji mandir) का एहसास होता है.
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यहां प्रकट हुए थे बालाजी
इस मंदिर के इतिहास से जुड़ी एक कहानी बहुत प्रचलित है. कहा जाता है कि मंदिर में श्री बालाजी महाराज, श्री प्रेतराज सरकार और श्री कोतवाल, ये तीन देव यहां आज से लगभग 1000 साल पहले प्रकट हुए थे. यहां की मूर्ति किसी ने नहीं बनाई नहीं है.
महंत को सपने में दिखे भगवान
इस मंदिर को लेकर ये माना जाता है कि मंदिर के पुराने महंत को एक दिन सपना आया. सपने में उसने तीन देवताओं को देखा था. महंत ने इसे बालाजी के मंदिर निर्माण का संकेत माना. उसके बाद इस जगह पर भगवान हनुमान की पूजा-अर्चना शुरू कर दी गई. फिर मंदिर में तीनों देवता बालाजी महाराज, श्री प्रेतराज सरकार और श्री कोतवाल को स्थापित करवाया गया.
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मंदिर की अलग तरह की बनावट
कहा जाता है कि ये मंदिर आम मंदिरों से बिल्कुल अलग है. यहां मंदिर की घंटी की जगह लोगों की चीख-पुकार सुनाई देती है. मंदिर की बनावट अपने आप में अलग है. यहां चार हॉल बने हुए हैं. पहले दो में हनुमान जी और भैरव जी की मूर्ति है. जबकि आखिरी हॉल में बहुत सारी महिलाएं और पुरुष होते हैं, जिन पर भूतों का साया होता है.