Ramcharitmanas Story: जीवन में पानी है सफलता, रामचरितमानस की ये सीख जिंदगी में लें अपना

रामचरितमानस (ramcharitmanas) के अनुसार, जब रावण द्वारा सीता के अपहरण के बाद रामजी और भ्राता लक्ष्मण उन्हें इधर-उधर खोज रहे थे तब, हनुमानजी से उनकी भेंट हुई और हनुमान जी ने ही उनकी मुलाकात राजा सुग्रीव (ramayan ki seekh) से करवाई थी.

author-image
Megha Jain
New Update
ramcharitmanas story

ramcharitmanas story( Photo Credit : social media)

Advertisment

कहते हैं कि लोगों को छोटी-छोटी खुशियों (ramayan stories) को पाकर भी संतुष्ट रहना चाहिए. इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि सफलता प्राप्त करने के बाद कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए. जो लोग तरक्की मिलने के बाद मद में चूर होकर अपने कर्तव्यों को भूल जाते हैं. वे अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल करते हैं. जो लोग छोटी-छोटी सफलता के बाद भी लगातार अपने लक्ष्य (tips to get success in life) को पाने के लिए काम करते रहते हैं. वे अपने जीवन में हमेशा आगे बढ़ते हैं. इस बात का उदाहरण सही तरह से रामचरितमानस (ramcharitmanas teachings) में दिया गया है.   

यह भी पढ़े : Lord Hanuman Favorite Bhog: हनुमान जी को लगाएंगे इन चीजों का भोग, समस्या से दिलाएंगे छुटकारा और हो जाएंगे प्रसन्न

रामचरितमानस के अनुसार, जब रावण द्वारा सीता के अपहरण के बाद रामजी और भ्राता लक्ष्मण उन्हें इधर-उधर खोज रहे थे तब, हनुमानजी से उनकी भेंट हुई और हनुमान जी ने ही उनकी मुलाकात राजा सुग्रीव से करवाई थी. उस समय सुग्रीव अपने बड़े भाई बाली द्वारा राज्य से निकाल दिया गया था. वहीं सुग्रीव की पत्नी रोमा को भी बाली अपने पास ही रख (ramayan ki seekh) लिया था.   

उस समय दुखी सुग्रीव को राम जी ने मदद करने का विश्वास दिलाया. अपने वचन के अनुसार, भगवान राम ने बाली का वध करके सुग्रीव को फिर से किष्किंधा का राजा बना दिया. सुग्रीव को कई सालों बाद पत्नी और राज्य का सुख मिला. उस समय वर्षा ऋतु शुरू हो चुकी थी. वर्षा ऋतु खत्म होने तक प्रभु राम और भ्राता लक्ष्मण दोनों ने एक पर्त पर गुफा में निवास किया.      

यह भी पढ़े : Sunderkand Path Niyam: सुंदरकांड का पाठ करने के जानें जरूरी नियम, शुभ फल होगा प्राप्त

इसके साथ ही राम जी इस बात का इंतजार कर रहे थे कि सुग्रीव आकर सीता की खोज मे उनकी मदद करेंगे लेकिन, राज्य के सुख में डूबा हुआ सुग्रीव इस बात को भूल गया था कि उसे भगवान राम के पास जाना है. कई दिन बीत जाने के बाद राम जी ने खुद लक्ष्मण को सुग्रीव के पास भेजा.     

तब, लक्ष्मण जी ने सुग्रीव को अपना क्रोध प्रकट करते हुए इस बात का एहसाल दिलाया कि वे सुख-सुविधाओं के मद में चूर होकर कितनी बड़ी भूल कर रहे हैं. इस बात से शर्मिंदा करके उसने भगवान राम और लक्ष्मण जी से माफी मांगी. इसके बाद सीता जी की खोज शुरू कर दी.   

रामचरितमानस का ये प्रसंग इस बात की सीख देता है कि कभी भी अपनी सफलता को अपने सिर पर नहीं चढ़ने देना चाहिए. वरना लोग अपने जीवन के सही रास्ते से भटककर बड़े लक्ष्यों को हासिल (ram sugriv maitri) नहीं कर पाते.              

ramayan story ramayan tips ramayan success tips ram sugriv maitri ramayan seekh ramayan teachings ramayan daily success habits ramayan ramcharitmanas teachings ramayan latest dharm news ramayan hindi story
Advertisment
Advertisment
Advertisment