12 अगस्त को सावन के पावन (Sawan 2022) महीने का आखिरी दिन है. भोलेनाथ के इस प्रिय महीने में 12 ज्योतिर्लिंग (12 Jyotirlinga) के दर्शन करने और नाम जपने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. भोलेनाथ अपने भक्तों के तमाम दुख दूर कर देते हैं. द्वादश ज्योतिर्लिंग (Rameshwaram Jyotirlinga) में से एक रामेश्वर मंदिर है. रामेश्वर तीर्थ चार धाम में से एक है. माना जाता है कि यहां स्थित शिवलिंग के दर्शन से समस्त रोगों से मुक्ति मिल जाती है. इस पवित्र धाम का संबंध भगवान श्रीराम से है.
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इस ज्योतिर्लिंग की दक्षिण भारत में वही मान्यता है जो उत्तर भारत में काशी विश्वनाथ की है. यही कारण है कि इस शिवालय में पूरे साल शिव भक्तों का तांता लगा रहता है. सावन के महीने में तो यहां लोग देश-विदेश (Rameshwaram jyotirlinga facts) से पहुंचते हैं. भगवान माता सीता के द्वारा बनाया और भगवान श्री राम के द्वारा पूजित रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग से जुड़ी पौराणिक कथा और उसकी पूजा का धार्मिक महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं.
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की रोचक बातें -
हिंदू मान्यताओं के अनुसार यहां कुंड में स्नान के बाद पापों से मुक्ति मिल जाती है. कहते हैं यहां मौजूद 24 कुंड (थीर्थम) का पानी इतना गुणकारी है कि इसमें डुबकी लगाने के बाद गंभीर बीमारी भी खत्म हो जाती है. यहां के थीर्थम का रहस्य आज तक कोई नहीं सलझा पाया. मान्यता है कि श्री राम ने अमोघ बाणों से इन कुंड का निर्माण (Rameshwaram jyotirlinga mystery) किया था.
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग में गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है. इसके लिए विशेष तौर पर उत्तराखंड से गंगाजल यहां लाया जाता है.
रामेश्वरम तमिलनाडु के रामनाथपुरम में स्थित है. कहते हैं दक्षिण में रामेश्वरम की महत्ता उत्तर में काशी के समान है. यहां रामनाथस्वामी के रूप में शिवलिंग की पूजा की जाती है.
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की स्थापना किसने की -
पौराणिक कथा के अनुसार, राव ब्राह्मण कुल से था. इसलिए, श्रीराम को ब्रह्म हत्या का पाप लगा था. जिसके पार्यश्चित के लिए ऋषियों ने भगवान राम को शिवलिंग स्थापित करके अभिषेक करने का सुझाव दिया था. इसी के चलते प्रभू श्रीराम ने पाप से मुक्ति पाने के लिए दक्षिणी तट पर बालू से शिवलिंग बनाकर अभिषेक किया. एक मान्यता ये भी है कि लंका से लौटते वक्त भगवान राम दक्षिण भारत के समुद्र तट पर रुके थे. ब्रह्म हत्या के पाप को मिटाने के लिए उन्होंने हनुमान जी को पर्वत से शिवलिंग लाने के लिए कहा था. बजरंगबली को आने में देरी हुई तो माता सीता ने दक्षिण तट पर बालू से शिवलिंग स्थापित किया. जो कि रामनाथ कहलाया गया. इसे रामलिंग भी कहा जाता है. वहीं हनुमान जी द्वारा लाए शिवलिंग का नाम वैश्वलिंग रखा गया. तभी से यहां दोनों शिवलिंग की पूजा की जाती है. इसी वजह से रामेश्वरम को रामनाथस्वामी ज्योतिर्लिंग (Rameshwaram jyotirlinga ram connection) भी कहा जाता है.