ज्योतिष शास्त्र (jyotish shastra) के मुताबिक, शनि देव (shani dev) का लोगों के कर्म और आजीविका से सीधा कनेक्शन होता है. कोई भी इंसान बिना शनि की कृपा से अच्छे नौकरी नहीं कर सकता. इसके साथ ही शनि की कृपा के बिना न ही विवाह हो सकता और न ही संतान (shani shanti ke upay) हो सकती है. इसेक अलावा शनि देव इंसान को भौतिक सुख और आध्यात्मिक शक्ति भी प्रदान (shani sade sati upay) करते हैं. कहा जाता है कि अगर शनि देव प्रसन्न होते हैं तो सारे बिगड़े काम बन जाते हैं. तो, चलिए आपको बताते हैं कि शनि देव को प्रसन्न करने के लिए कौन-से काम (shani dev worship method) करने चाहिए.
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शनि देव को प्रसन्न करने के लिए क्या करें
माना जाता है कि शनि देव को प्रसन्न करने के लिए सूर्योदय से पहले ही पीपल में जल दे देना चाहिए. कई धार्मिक ग्रंथों में इस बात का उल्लेख किया गया है कि जो इंसान सूर्योदय से पहले ही पीपल में जल चढ़ा देता है. उस पर शनि की महादशा का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. कहते हैं कि ये वरदान भगवान ब्रह्माजी (shani ki sadesati ke upay) द्वारा दिया गया है.
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बच्चों पर नहीं होती शनि की महादशा
ऐसा कहा जाता है कि शनि देव की महादशा की वजह से ही दधीचि ने बज्र बनाने के लिए अपना शरीर दान किया. जिसकी वजह से उनकी पत्नी सती हो गई. इसके साथ ही दधीचि के पुत्र पिप्पलाद अनाथ हो गए. पिप्पलाद पर भी शनि की महादशा थी. इस अवस्था को देखकर भगवान ब्रह्माजी ने उसे रोका और फिर से वर मांगने के लिए कहा. जिसके बाद पिप्पलाद ने दो वर मागें, जिसमें पहला वर था कि जन्म से 5 वर्ष की उम्र के बच्चों की कुंडली मे शनि की कोई दशा नहीं रहेगी और न ही शनि का कोई (shani mahadasha) प्रभाव रहेगा.
पिप्पलाद ने की तपस्या
महर्षि दधीचि के पुत्र पिप्पलाद ने एक बार ब्रह्मा जी की घोर तपस्या की. पिप्पलाद की तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने उन्हें वर मांगने के लिए कहा. ब्रह्माजी (lord brahma ji) ने पिप्पलाद की इच्छा पूर्ति करते हुए उन्हें उनकी दृष्टि से दूसरे लोगों के जल जाने का आशीर्वाद दिया. कहा जाता है कि ऐसा वर पाने के बाद पिप्पलाद ने शनि देव को बुलाया और अपनी दृष्टि मात्र से उन्हें (shani sade sati upay 2022) जलाने लगे.