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Mata Vaishno Devi: किसने और कब बनवाया माता वैष्णो देवी मंदिर, बेहद रोचक है ये पौराणिक कथा

Mata Vaishno Devi: वैष्णो देवी माता के मंदिर की महिमा के बारे में सब जानते हैं. क्या आप जानते हैं इस मंदिर का निर्माण कब और किसने करवाया था.

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Inna Khosla
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who and when built mata vaishno devi temple

Mata Vaishno Devi( Photo Credit : News Nation)

Mata Vaishno Devi: मान्यताओं के अनुसार पंडित श्रीधर ने आज से लगभग 900 साल पहले माता वैष्णो देवी मंदिर का निर्माण करवाया था. माता ने उन्हें कैसे दर्शन दिए, वो कहां रहते थे और उनकी कौन सी मनोकामना पूर्ण हुई ये कहानी भी बेहद रोचक है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता वैष्णो देवी मंदिर का निर्माण करीब 900 वर्ष पहले पंडित श्रीधर के द्वारा करवाया गया था. कटरा से 2 किलोमीटर दूर हंसाली गांव में श्रीधर पंडित जी की कुटिया है, जो आज भी मौजूद है. यहां भी लोग उनके दर्शन करने जाते हैं. मान्यता है कि ये वही घर है जहां माता वैष्णो देवी ने पंडित श्रीधर की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हे साक्षात दर्शन दिए थे. 

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क्या है गर्भ गुफा का इतिहास 

कहा जाता है कि पंडित श्रीधर हंसाली गांव में रहते थे और माता वैष्णो देवी के प्रबल भक्त थे. वे माता की पूजा-अर्चना नियमित रूप से करते थे और उनसे सदैव अपनी भक्ति और प्रेम व्यक्त करते थे. एक बार, उन्हें माता वैष्णो देवी ने स्वप्न में दर्शन दिए और उन्हें त्रिकुटा पर्वत पर गुफा में उनकी पिंडी खोजने का आदेश दिया. श्रीधर ने माता के आदेश का पालन करते हुए त्रिकुटा पर्वत पर यात्रा की और कठिन परिश्रम के बाद माता की गुफा का पता लगाया. उन्होंने गुफा में माता की पिंडी की स्थापना की और उनकी पूजा-अर्चना शुरू कर दी. धीरे-धीरे, श्रीधर की भक्ति और माता की कृपा से, इस स्थान पर लोगों का आना-जाना शुरू हो गया और यह एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल बन गया.

पंडित श्रीधर की भक्ति से प्रसन्न होकर ही देवी माँ ने उन्हें छोटी बच्ची के रूप में दर्शन दिए थे और उसी वक्त इस मंदिर का निर्माण हुआ था. कहा जाता है कि जिस गुफा में माता का निवास स्थान है. उसी गुफा में माता वैष्णो देवी (Mata Vaishno Devi) ने नौ महीने बिताए थे. जिस तरह कोई भी शिशु माता के गर्भ में नौ महीने रहता है उसी तरह मां भी इस गुफा में रहीं.इसी कारण इस गुफा को गर्भ गुफा के नाम से जाना जाता है. मान्यताओं के अनुसार पंडित श्रीधर को सपने में माता रानी ने दर्शन दिए थे और स्वयं इस गुफा के बारे में बताया था. इसके बाद ही इस मंदिर का निर्माण किया गया था. 

पंडित श्रीधर को जिस घर में माता वैष्णो देवी ने दिए थे दर्शन

कटरा से 2 किलोमीटर दूर हंसाली गांव में श्रीधर पंडित जी की कुटिया है जहां माता ने पंडित को साक्षात दर्शन दिए थे. उनका 900 साल पुराना घर आज भी है. इसी घर में वो भक्ति तपस्या करते थे, उनके घर में संतान नहीं होती थी तो वो मां की भक्ति करते थे कि मेरे घर में कोई संतान हो जाए. गांव की कन्या को बुलाते थे की मेरे घर में कन्या पूजन के लिए आएंगी तो मेरा व्रत पूरा होगा. नवरात्रों के समय उनके गांव के लोग उनके घर में अपनी कन्या नहीं भेजते थे. हर नवरात्र में उनकी पत्नी का रो-रोकर, दुखी होकर निराश हो जाती थी. इसी तरह ये कहानी बहुत समय तक चलती रही.

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एक बाद मां वैष्णो देवी उनकी भक्ति से प्रसन्न हो गई. जब माता ने देखा कि गांव वालों ने श्रीधर पंडित के यहां अपनी कन्या नहीं भेजी, मेरा भक्त बहुत दुखी है तो उनसे रहा नहीं गया. तब मां वैष्णो देवी ने खुद ही कन्या का रूप धारण किया और नव माताओं का कन्या के रूप में आह्वान किया और नौ कन्याओं को लेकर कमरे में आई. जहां पर पंडित श्रीधर जी ने उनका फिर कन्या पूजन किया. इस तरह से उनका व्रत पूरा हुआ. जब उनको भोजन कराया, उनका पूजन किया, उनको प्रसाद वगैरह दिया, आशीर्वाद दिया उनमें जो मां वैष्णो (Mata Vaishno Devi) की कन्या रूप में है, उन्होंने कहा था पंडित जी हमारे भोजन और हमारे पूजन से आपकी मनोकामना पूरी नहीं होगी, आप सारे गांव को भंडारा करके भोजन कराएं तभी आपकी सभी मनोकामना पूर्ण होगी और आपके घर में संतान होगी. ये आशीर्वाद देकर माता यहां से चली गयी

उनकी पत्नी ने कहा कि माता ने कहा है कि भंडारे के लिए तो हम सारे गांव को निमंत्रण दे देते हैं तो उन्हें सब गांव को निमंत्रण दिया. पूरे कटरा शहर को निमंत्रण दे दिया. भैरवनाथ को भी निमंत्रण दिया तब जो है दूसरे दिन जो यहां सारा गांव जमा हुआ वो चिंतित हो गए की अब क्या करूँ? ये तो सारा गांव आ गया, मेरे पास न भोजन है न पानी है, बैठने को जगह नहीं है. लेकिन माता के आशीर्वाद से पंडित श्रीधर सबको भोजन करवा पाए और उनकी मनोकामना पूर्ण भी हुई. 

इस समय मंदिर में पूजा कर रहे पंडित जी के अनुसार जो अष्टधातु की माता की मूर्ति है वो 900 वर्ष पुरानी है. इसी मूर्ति की वो पूजा करते थे और जब आसपास किसी गांव में जाते तो माता को हमेशा अपने साथ लेकर जाते थे. 

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तो आप अगर मां वैष्णो देवी के दर्शन करने जा रहे हैं तो कटरा से 2 किलोमीटर दूर पंडित श्रीधर की कुटिया भी जरूर देख आएं. क्या पता किस रूप में आपको भी यहां माता के दर्शन हो जाएं और आपके मन की मुराद पूरी हो जाए. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

shridhar mandir Mata Vaishno Devi
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