घर के वाद-विवाद, बिजनेस-नौकरी (baglamukhi temple) से जुड़ी परेशानियां, कोर्ट कचहरी के चक्कर जैसे कई मामले और ऐसे ही कई दूसरी वजहों से बने दुश्मनों से निपटना आसान काम नहीं होता है. इन्हीं से निपटने के लिए कई बार साम-दाम-दंड-भेद जैसी नीतियां अपनानी पड़ती है. आपको बता दें कि हिमाचल प्रदेश (baglamukhi mata ka mandir) में एक ऐसा मंदिर है. जहां विशेष पूजा-अर्चना करने से बड़े से बड़े दुश्मन पर भी जीत हासिल हो जाती है. इस मंदिर का नाम बगलामुखी मंदिर है और यहां शत्रुनाशिनी यज्ञ कराने के लिए (baglamukhi temple in himachal pradesh) लोग दूर-दूर से आते हैं.
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कौन थीं मां बगलामुखी -
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां बगलामुखी को दस महाविद्याओं में से आठवें नंबर पर स्थान प्राप्त है. वे रावण की ईष्ट देवी थीं. धर्म-शास्त्रों के मुताबिक, जब भगवान राम, रावण से युद्ध करने जा रहे थे. तो, उन्होंने भी मां बगलामुखी की आराधना की थी. वहीं उन्हें रावण पर जीत हासिल हुई थी. इतना ही नहीं पांडव भी मां बगलामुखी की पूजा करते थे. कहा जाता है कि कांगड़ा में स्थित ये मंदिर महाभारत काल का है. जहां पांडवों ने ही अज्ञातवास के दौरान एक रात में इस मंदिर की (baglamukhi devi) स्थापना की थी.
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पीला रंग है मंदिर की पहचान -
मां बगलामुखी का ये मंदिर पीले रंग का है. बल्कि, इस मंदिर की हर चीज यहां तक की माता के वस्त्र से लेकर उन्हें लगने वाले भोग तक हर चीज पीले रंग की होती है. माना जाता है कि मां बगलामुखी भक्तों के भय को दूर करके उनके शत्रुओं और उनकी बुरी ताकतों का नाश करतीं है. बता दें, कि इस मंदिर में मुकदमों, विवादों में फंसे लोगों के अलावा बड़े-बड़े नेता, सेलिब्रिटी वगैराह भी विशेष पूजा (mata baglamukhi temple) करने के लिए पहुंचते हैं.
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यज्ञ में डाली जाती है लाल मिर्च की आहुति
कांगड़ा जिले में स्थित इस मां बगलामुखी मंदिर में शत्रुनाशिनी और वाकसिद्धि यज्ञ होते हैं. ये यज्ञ करने से शत्रु को परास्त करने में मदद मिलती है. यूं कहें कि बड़े से बड़ा शत्रु भी मात खा जाता है. इसके साथ ही लोगों की हर मनोकामना भी पूरी होती है. शत्रु को परास्त करने के लिए किए जाने वाले इन यज्ञ में लाल मिर्च की आहुति (baglamukhi temple hawan) दी जाती है.