Chhath Puja 2023: हर साल चैत्र मास और कार्तिक मास में छठ महापर्व मनाया जाता है. इस साल 17 नवंबर से छठ पूजा शुरु होगी जो अगले 4 दिनों तक चलेगी. 20 नवंबर को सूर्य की पहली किरण को जल देने के बाद ही ये व्रत पूरा होगा. सूर्य और छठी मैया में क्या नाता है अगर आप ये जानना चाहते हैं तो बता दें कि पौराणिक कथाओं के अनुसार छठी मैया सूर्य देव की बहन हैं ब्रह्मा जी की मानस पुत्री कही जाती हैं. मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, और नेपाल के कई क्षेत्रों में "छठी मैया" को पूजा जाता है. छठ पर्व में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा का विशेष महत्व होता है. बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग इसे बड़े धूमधाम और उत्साह के साथ मनाते हैं.
छठ पूजा में सूर्य देव का महत्व
छठी मैया को छठ पूजा के दौरान सूर्योदय के समय पूजा जाता है. छठी मैया को माता की तरह पूजा जाता है और उसे सूर्य की उपासना का स्वरूप माना जाता है. छठ पूजा के दौरान व्रती व्रत का अवश्य पालन करते हैं और विशेष रूप से नदी, तालाब, या कुएं के किनारे जाकर सूर्योदय के समय पूजा करते हैं.
क्यों करते हैं छठ पूजा
छठी मैया का रूप मुख्य रूप से सुंदर, करुणामयी और उपकारी माता के रूप में पूजा जाता है. विशेषकर स्त्रीजन इसे अपनी संतान की सुरक्षा और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए पूजती हैं. छठ पूजा के दौरान गायकों द्वारा गाए जाने वाले छठ गीतों में छठी मैया का रूप और उनकी महिमा का गाना होता है.
छठ पूजा के त्योहार के दौरान, लोग विशेष रूप से सूर्योदय के समय नदी के किनारे जाकर व्रत करते हैं, खासकर महिलाएं, जो छठी मैया की पूजा करती हैं और सूर्य देवता की आराधना करती हैं। यह त्योहार एक उत्साही, सामाजिक, और धार्मिक आयोजन होता है जो लोगों को समृद्धि, सौभाग्य, और सौभाग्य की कामना करने के लिए एक साथ ला देता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)
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Source : News Nation Bureau