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Mythological Story: भगवान राम और सीता माता के विवाह की रोचक पौराणिक कथा जानिए

Mythological Story: भगवान राम और सीता माता के प्रेम की कहानी उनके आदर्श रिश्ते की लोग आज भी मिसाल देते हैं. उनके विवाह से जुड़ी ये पौराणिक कथा भी बेहद रोचक है.

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Inna Khosla
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mythological story of the marriage of Lord Ram and Mother Sita

mythological story of Lord Ram and Sita Mata

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Mythological Story: भगवान राम और सीता माता की विवाह कथा सनातन धर्म के आदर्शों और मर्यादा की प्रतीक है. सीता माता का जन्म मिथिला के राजा जनक के घर हुआ. जब सीता माता बाल्यावस्था में थीं, तब राजा जनक ने एक दिन हल चलाते समय उन्हें भूमि से प्राप्त किया. इसे ईश्वर की कृपा मानते हुए उन्होंने सीता को अपनी पुत्री के रूप में अपनाया. जब सीता माता युवा हुईं, राजा जनक ने उनके विवाह के लिए एक अनूठी शर्त रखी. उन्होंने घोषणा की कि जो भी राजा या योद्धा शिव धनुष को उठाकर उसकी प्रत्यंचा चढ़ा सकेगा, वही सीता का वरण करेगा. यह धनुष असाधारण रूप से भारी और दिव्य था, जिसे उठाना किसी भी साधारण व्यक्ति के लिए असंभव था.

भगवान राम का मिथिला आगमन

उधर अयोध्या के राजा दशरथ के चारों पुत्र, राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न, अपने गुरु विश्वामित्र के साथ शिक्षा और तप कर रहे थे. एक दिन ऋषि विश्वामित्र राम और लक्ष्मण को लेकर मिथिला पहुंचे. राजा जनक ने उनका स्वागत किया और धनुष यज्ञ में भाग लेने का आग्रह किया.

शिव धनुष का टूटना और विवाह प्रस्ताव

धनुष यज्ञ में कई राज्यों और कुलों के योद्धा आए, लेकिन कोई भी शिव धनुष को उठा नहीं सका. तब ऋषि विश्वामित्र ने भगवान राम से कहा कि वे अपनी शक्ति और धर्म का प्रदर्शन करें. भगवान राम ने सहजता से शिव धनुष को उठाया और प्रत्यंचा चढ़ाने के प्रयास में धनुष टूट गया. यह दृश्य देखकर जनक नगर में हर्षोल्लास फैल गया. राजा जनक ने तुरंत भगवान राम को सीता माता का वरण करने के लिए आमंत्रित किया. उन्होंने यह भी घोषणा की कि भगवान राम का विवाह मिथिला की परंपरा के अनुसार पूरे विधि-विधान से संपन्न होगा.

राम और सीता का पवित्र मिलन

विवाह समारोह अद्भुत भव्यता और दिव्यता के साथ संपन्न हुआ. अयोध्या से राजा दशरथ, उनकी रानियां और सभी परिवार के सदस्य इस विवाह में शामिल हुए. भगवान राम और सीता माता का विवाह केवल एक सांसारिक बंधन नहीं बल्कि एक दिव्य मिलन था. ये विवाह मर्यादा, प्रेम और धर्म के आदर्शों का प्रतीक बना. भगवान राम और सीता माता का विवाह सनातन धर्म के आदर्शों को दर्शाता है. यह कथा हमें सिखाती है कि प्रेम, त्याग, समर्पण और धर्म का पालन किसी भी रिश्ते की नींव है. उनका मिलन यह संदेश देता है कि जीवन के हर रिश्ते को मर्यादा और कर्तव्य के साथ निभाना चाहिए. भगवान राम और सीता माता का विवाह केवल मिथिला और अयोध्या का नहीं बल्कि पूरे मानव समाज के लिए एक आदर्श उदाहरण है. उनकी कथा हर युग में प्रेम, सत्य और धर्म की प्रेरणा देती रहेगी.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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