Inter-Religion Marriage: भारत में धर्म एक बड़ा मुद्दा है. ऐसे में इंटर रिलिजन मैरिज करने पर कई बार धार्मिक समुदायों में हिंसा के मामले भी सामने आए हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंतर धार्मिक विवाह या इंटर रिलिजन मैरिज पर बड़ा फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा है कि बिना धर्म बदले अंतर धार्मिक शादी हो सकती है. स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत बिना धर्म परिवर्तन किए अंतर धार्मिक विवाह मान्य है. अब सवाल ये है कि कोर्ट ने ये फैसला क्यों दिया. दरअसल ये मामला हापुड़ पंचशील के जोड़े के कारण दिया गया है. हाईकोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे जोड़े को विवाह करने की इजाजत दी. कोर्ट ने पुलिस को जोड़े की सुरक्षा प्रदान करने का भी निर्देश दिया. ऐसे में ये कानून क्या है आइए इसे विस्तार से समझते हैं.
भारत में, अलग-अलग धर्मों के लोगों को बिना धर्म परिवर्तन के शादी करने का अधिकार है. यह अधिकार विशेष विवाह अधिनियम, 1954 द्वारा प्रदान किया गया है. कानून उन जोड़ों को नागरिक विवाह कराने की अनुमति देता है, जो अपनी पसंद के अनुसार कोई भी धार्मिक अनुष्ठान कर सकते हैं या नहीं कर सकते हैं.
विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के प्रावधान
विवाह के लिए आवश्यक आयु की बात करें तो पुरुषों के लिए 21 वर्ष और महिलाओं के लिए 18 वर्ष है. दोनों पक्षों को विवाह के लिए स्वतंत्र और पूर्ण सहमति देनी होगी. पहले से ही विवाहित व्यक्ति, सगे संबंधी, या मानसिक रूप से अक्षम व्यक्ति इस अधिनियम के तहत विवाह नहीं कर सकते हैं. विवाह को अनिवार्य रूप से पंजीकृत करना होगा. इस अधिनियम के तहत विवाह विच्छेद के लिए भी प्रावधान हैं.
विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के अलावा, भारत में अन्य कानून भी हैं जो अंतर-धार्मिक विवाह का समर्थन करते हैं.
हिंदू विवाह अधिनियम, 1955: यह हिंदू जोड़ों के लिए विवाह कानून है, लेकिन इसमें अंतर-धार्मिक विवाह के लिए भी प्रावधान हैं.
मुस्लिम विवाह अधिनियम, 1973: यह कानून मुसलमानों के लिए विवाह का प्रावधान करता है, लेकिन इसमें अंतर-धार्मिक विवाहों के लिए भी कुछ प्रावधान हैं.
मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 2019: यह मुस्लिम महिलाओं को उनके पति द्वारा तलाक दिए जाने पर गुजारा भत्ता और अन्य अधिकार प्रदान करता है, भले ही उन्होंने धर्म परिवर्तन किया हो या नहीं.
धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करना गैरकानूनी है. अगर कोई व्यक्ति आप पर धर्म परिवर्तन के लिए दबाव डाल रहा है, तो आप पुलिस या कानूनी अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau