Maa Brahmacharini Puja Vidhi and Katha: चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की अपनाएं ये पूजा विधि, धन और गुणों की होगी प्राप्ति

चैत्र नवरात्रि (chaitra navratri 2022) के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. तो, चलिए आपको बताते हैं कि इस दिन मां ब्रह्मचाहिरीणी की कथा (Maa Brahmacharini Puja Vidhi and katha) और पूजा विधि क्या है. 

author-image
Megha Jain
New Update
Maa Brahmacharini Puja Vidhi and katha

Maa Brahmacharini Puja Vidhi and katha( Photo Credit : social media)

Advertisment

चैत्र नवरात्रि (chaitra navratri 2022) 2 अप्रैल से शुरू होने वाली है. इसमें पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है. तो, वहीं दूसरे दिन मां दुर्गा के द्वितीय स्वरुप देवी ब्रह्मचारिणी (maa brahmacharini katha) का पूजन किया जाता है. ब्रह्मचारिणी का अर्थ होता है, तप का आचरण करने वाली. इनका स्वरूप अत्यंत तेजमय और भव्य है. इनके वस्त्र श्वेत होते हैं. मां ब्रह्मचारिणी (navratri 2nd day puja vidhi) अपने दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल धारण करती हैं. इनकी पूजा के दिन साधक का मन स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित होता है. इनकी आराधना से तप, संयम, त्याग व सदाचार जैसे गुणों की प्राप्ति होती है. मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से धैर्य प्राप्त होता है और मनुष्य कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपने कर्त्तव्य से विचलित नहीं होता है, उसे विजय की प्राप्ति होती है. तो, चलिए आपको बताते हैं कि इस दिन मां ब्रह्मचाहिरीणी की कथा (maa brahmacharini katha) और पूजा विधि क्या है. 

यह भी पढ़े : Chaitra Navratri 2022 Maa Shailputri Aarti: चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पढ़ें ये आरती, हर मनोकामना होगी पूरी

मां ब्रह्मचारिणी की कथा 
मां ब्रह्मचारिणी ने अपने पूर्व जन्म में राजा हिमालय के घर में पुत्री रूप में लिया था. तब देवर्षि नारद के उपदेश से इन्होंने भगवान शंकर को अपने पति रूप में प्राप्त करने के लिए अत्यंत कठिन तपस्या की थी. इस दुष्कर तपस्या के चलते इन्हें तपस्चारिणी यानी कि ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया (chaitra navratri 2nd day) गया. कथा के अनुसार एक हजार वर्ष उन्होंने केवल फल, मूल खाकर व्यतीत किए और सौ वर्षों तक केवल शाक पर निर्वाह किया था. कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखते हुए देवी ने खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के भयानक कष्ट भी सहे. 

यह भी पढ़े : Maa Parvati Chalisa: मां पार्वती का पढ़कर ये चालीसा, मन को मिलेगी शांति मांगेंगे जब अपनी गलतियों की क्षमा

कई हज़ार वर्षों की इस कठिन तपस्या के चलते ब्रह्मचारिणी देवी का शरीर एकदम क्षीण हो उठा. उनकी ये दशा देखकर उनकी माता मेना अत्यंत दुखी हुई और उन्होंने उन्हें इस कठिन तपस्या से विरक्त करने के लिए आवाज दी 'उमा'. तब से देवी ब्रह्मचारिणी का एक नाम उमा भी पड़ गया. उनकी इस तपस्या से तीनों लोकों में हाहाकार मच (brahmacharini mata) गया. 

देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी देवी ब्रह्मचारिणी की इस तपस्या को अभूतपूर्व पुण्यकृत्य बताते हुए उनकी सराहना करने लगे. अंत में पितामह ब्रह्मा जी ने आकाशवाणी के द्वारा उन्हें संबोधित करते हुए प्रसन्न स्वर में कहा-'हे देवी! आज तक किसी ने ऐसी कठोर तपस्या नहीं की जैसी तुमने की है. तुम्हारे इस आलोकिक कृत्य की चारों ओर सराहना हो रही हैं. तुम्हारी मनोकामना सर्वतोभावेन परिपूर्ण होगी. भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हे पति रूप में प्राप्त जरूर होंगे. अब तुम तपस्या से विरत होकर घर लौट जाओ जल्दी ही तुम्हारे पिता तुम्हें बुलाने आ रहे हैं.'

यह भी पढ़े : Mangalwar Special Upay: मंगलवार को करें ये चमत्कारी उपाय, समस्याओं से छुटकारा और हनुमान जी का आशीर्वाद पाएं

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि 

वहीं इस दिन की पूजा विधि की बात करें तो सर्वप्रथम देवी को पंचामृत से स्नान कराएं. इसके बाद इन्हें पुष्प, अक्षत, कुमकुम और सिंदूर वगैराह अर्पित करें. देवी ब्रह्मचारिणी को सफेद और सुगंधित फूल चढ़ाने चाहिए. इन्हें मिश्री या सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाएं. उसके बाद ही मां की आरती करें.  

Festivals Hindi News Chaitra Navratri 2022 Spirituality News Navratri 2 day devi 2 day navratri images chaitra navratri 2nd day Maa Brahmacharini Katha navratri 2 day katha navratri 2nd day puja brahmacharini mata chaitra navratri 2nd april 2022 mata brah
Advertisment
Advertisment
Advertisment