Shanivar Vrat, Puja Vidhi, Aarti: आडंबर से नहीं इस सरल साधारण पूजा विधि से शनिदेव को करें प्रसन्न, साढ़े साती के साथ सभी कष्ट और पीड़ा होगी खत्म

अगर आप भी शनि की साढ़े साती की मार झेल रहे हैं तो इस सरल पूजा विधि से शनिवार के दिन शनिदेव का ध्यान करें. इससे न सिर्फ शनिदेव प्रसन्न होंगे बल्कि साढ़े- साती के साथ सभी कष्ट और पीड़ा भी खत्म होगी.

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Gaveshna Sharma
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इस सरल पूजा विधि से शनिदेव होंगे प्रसन्न, साढ़े साती होगी खत्म ( Photo Credit : Social Media)

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शनिवार के दिन विधिवत रूप से भगवान शनि की पूजा की जाती है. उन्हें शनिवार का अधिष्ठाता देव माना गया है. सनातन धर्म में शनिदेव को न्याय का देवता कहा गया है जो कर्मों के अनुसार व्यक्ति को फल देते हैं. शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन व्रत करना सबसे लाभदायक माना गया है. मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त शनिवार के दिन भगवान शनि देव की पूजा करता है उसके जीवन में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है तथा वह हर एक प्रकार के कष्टों से दूर रहता है. जिस व्यक्ति के ऊपर शनि की महादशा होती है उसे भी इससे मुक्ति पाने के लिए शनिवार का व्रत करना चाहिए. यहां जानें शनिवार के व्रत के लिए पूजा विधि, आरती, महत्व और कथा.

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Shanivar Vrat Puja Vidhi (शनिवार व्रत पूजा विधि)  
शनिवार का व्रत रखने वाले लोगों को सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्म और स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए. संकल्प लेने के बाद घर में शनिदेव की प्रतिमा स्थापित कीजिए. अगर लोहे की प्रतिमा हो तो यह उत्तम माना जाता है. प्रतिमा स्थापित करने के बाद भगवान शनि को पंचामृत से स्नान करवाएं और चावलों से बनाए 24 दल के कमल पर इस मूर्ति को स्थापित करें. इसके बाद शनिदेव को काला वस्त्र, फूल, काला तिल, धूप आदि अर्पित करें फिर तेल का दीपक जलाकर उनकी पूजा करें. अंत में कथा का पाठ करके आरती करें.

Shanivar Vrat Importance (शनिवार व्रत महत्व)
मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त शनिवार का व्रत रखते हैं उन्हें शनि ग्रह के दोष से मुक्ति मिलती है. शनिवार का व्रत रखने से जीवन में आने वाले प्रकोप से बचा जा सकता है. ऐसा कहा जाता है कि साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति पाने के लिए भी शनिवार का व्रत रखना चाहिए. शनिवार का व्रत रखने से नौकरी और व्यापार में भी सफलता मिलती है और जीवन में हमेशा सुख-समृद्धि और मान-सम्मान बना रहता है. 

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Shanivar Vrat Puja Aarti (शनिवार व्रत पूजा आरती)
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी। 
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥ जय जय श्री शनि देव....

श्याम अंग वक्र-दृ‍ष्टि चतुर्भुजा धारी। 
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥ जय जय श्री शनि देव....

क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी। 
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥ जय जय श्री शनि देव....

मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी। 
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥ जय जय श्री शनि देव....

देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥  जय जय श्री शनि देव....

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