Advertisment

Shani Shingnapur Temple: शिंगणापुर में है शनिदेव का मंदिर, जहां बिना छत खुले में रहते हैं भगवान, जानें क्यों 

Shani Shingnapur Temple: शनिदेव की कृपा पाने के लिए लोग हर साल दूर दूर से शिंगणापुर में शनिदेव के दर्शन करने जाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं यहां कैसे शनिदेव प्रकट हुआ. आइए जानते हैं इस मंदिर की रोचक कथा

author-image
Inna Khosla
एडिट
New Update
know the story of shani shingnapur temple

Shani Shingnapur Temple( Photo Credit : News Nation)

Advertisment

Shani Shingnapur Temple: शनि शिंगणापुर मंदिर में दर्शन करने हर साल लाखों श्रद्धालू आते हैं. यहां दर्शन करने से लोगों का शनिदोष दूर होता है. ये एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान की मूर्ति को किसी छत या छाया में नहीं रखा गया. इसका क्या कारण है. शिंगणापुर में शनि का वास कब और कैसे हुआ. क्या आज भी यहां साक्षात शनिदेव रहते हैं. मान्यता है कि शनि देव मनुष्य को उसके पाप और पुण्य कार्यों का आधार पर आशीर्वाद देते हैं. शिंगणापुर का ये मंदिर कई रहस्य और खासियतों से भरा है. क्या है इसकी कहानी आइए जानते हैं. 

शिंगणापुर में कैसे प्रकट हुए शनिदेव 

पौराणिक कहानियों के अनुसार, एक बार शिंगणापुर में ऐसी भयानक बाढ़ आयी कि सब डूबने के कागार पर आ गया. सारी चीज़ें पानी में इधर-उधर पहने लगी. लोग अपनी जान बचाने लगे. इसी दौरान कुछ लोगों को पानी में एक विचित्र का पत्थर तैरता हुआ पानी के बहाव को बदलता हुआ नज़र आया. जब पानी कम हुआ तो ये पत्थर एक पेड़ के ऊपर किसी चरवाहे को नज़र आया. 
उसका ध्यान जब पत्त्थर पर गया तो उसने इसे नीचे उतारा और इस पत्थ में क्या खास है जब वो ये खंखालने की कोशिश करने लगा तो उसने इसे तोड़ने का प्रयास किया. लेकिन जैसे ही उसने पत्थर पर प्रहार किया वैसे ही पत्त्थर में से खून आने लगा.

चरवाह डर गया और वहां से भाग गया. रात के समय जब चरवाह सो रहा था तब उसे एक सपना आया. सपने में शनिदेव ने उसे उस पत्थर की प्राण प्रतिष्ठा करने का आदेश दिया और कहा कि उसके ऊपर कोई छत ना बनवाए. सारा आकाश ही उनकी छत है. स्वयं छाया पुत्र शनि देव ने छाया लेने से इंकार कर दिया. 

फिर इस पत्त्थर की स्थापना के बाद यहां लोग पूजा-अर्चना करने लगे. 

शिंगणापुर में साक्षात दिखते हैं शनिदेव के चमत्कार

कहते हैं इस मंदिर में कोई पुजारी नहीं है. सब उनके सेवक है. जो सुबह शाम उनकी आरती करते हैं. शनिवार के दिन और खासकर अमावस्या के दिन यहां विशेष पूजा की जाती है. लोग दूर-दूर से यहां अपना शनिदोष दूर करने आते हैं. 
इस मंदिर में कई वृक्ष हैं लेकिन वो इस मूर्ति को छाया प्रदान नहीं करते. शनिदेव धूप, बारिश, जाड़े में ऐसे के ऐसे ही रहते हैं. हर मौसम का वो एक सा सामना करते हैं. 

कहते हैं इस जगह को वरदान है जिस तरह से शनिदेव का कोई पर्दा या दरवाज़ा नहीं है वैसे ही शिंगणापुर के किसी भी घर में ताला नहीं है. यहां चोरी की कोई घटना नहीं घटती. अगर कभी किसी ने चोरी की भी तो वो शिंगणापुर की सीमा पार नहीं कर पाता उससे पहले शनि का प्रकोप उसे भोगना पड़ता है. शनि देव का गुस्सा इतना भयानक है कि वो व्यक्ति नर्क से बद्दतर हालत में जीता है.

शिंगणापुर में लोग अपने घरों में खुले में सोने के महंगे गहने और सामान रखते हैं. किसी को किसी से कोई भय नहीं है.

तो आप अगर शनि भक्त हैं या शनि दोष का निवारण करना चाहते हैं तो एक बार यहां माथा टेकने जा सकते हैं.

Source : News Nation Bureau

Pauranik Kathayen shani mandir pauranik katha Shani Shingnapur Temple shani dev temple Shani Dev
Advertisment
Advertisment
Advertisment