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Chanakya Niti: लोगों की जिंदगी में सबसे बड़ी होती है ये पीड़ा, बिना अग्नि के ही देते है जला

आचार्य चाणक्य (acharya chanakya) के द्वारा बताई गई नीतियों का पालन करके लोग जीवन में कभी मात नहीं खा सकते हैं. चाणक्य ने कुछ ऐसी स्थितियों के बारे में चर्चा की हैं जो मनुष्य के लिए बहुत ही कष्टकारी मानी गई हैं. तो, चलिए आपको वो स्थितियां बताते हैं.

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Megha Jain
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chankya niti ( Photo Credit : social media)

आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) ने अपनी नीतियों में न केवल सफलता के मूलमंत्रों का जिक्र किया है. बल्कि, जीवन के हर पहलू के बारे में बात की है. उन्होंने लोगों को जीवन की कई ऐसी बातें बताई हैं. जिसे मानकर और अपनाकर लोग अपने जीवन में कभी मात नहीं खा सकते हैं. वैसे तो चाणक्य (Chanakya Niti) ने अर्थशास्त्र से जुड़ा बहुत कुछ लिखा है. लेकिन, उन्होंने खुशहाल जीवन और उन्नति के बारें में भी कई बातें बताई है. जिनका पालन करके आप भी अपने जीवन को खुशहाल बना सकते हैं. 

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उन्होंने लोगों के जीवन से जुड़ी कुछ गहरी बातें बताई हैं. जिनका अनुसरण करके लोगों को जीवन में सफलता हासिल हो सकती है. आचार्य चाणक्य के द्वारा बताई गई नीतियों का पालन करके लोग जीवन में कभी भी मात नहीं खा सकते हैं. चाणक्य ने कुछ ऐसी स्थितियों के बारे में चर्चा की हैं जो मनुष्य के लिए बहुत ही कष्टकारी मानी गई हैं. तो, चलिए आपको वो स्थितियां बताते हैं. 

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1) दुराचारी दुरादृष्टिर्दुरावासी च दुर्जनः ।

यन्मैत्रीक्रियते पुम्भिर्नरःशीघ्रं विनश्यति ।।

इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने कहा है कि जो लोग गलत संगत में रहते हैं. दुष्टों के साथ उठते-बैठते हैं और बुरे काम को करने वालों से दोस्ती करते हैं. तो, ऐसे लोगों का बर्बाद होना तय है. उन्हें कोई नहीं बचा सकता है. लिहाजा संगत को लेकर लोगों को हमेशा सतर्क और गंभीर होना चाहिए.   

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2) कान्ता वियोगः स्वजनापमानि ।

इस श्लोक के अनुसार, चाणक्य नीति के मुताबिक, किसी के लिए भी पत्नी का वियोग, अपने ही लोगों द्वारा बेइज्जत किया जाना, कर्ज, दुष्ट राजा की सेवा करना और गरीब व कमजोर लोगों की सभा में शामिल होना सबसे बड़ी कष्टकारी स्थिति होती है. ये छह बातें मनुष्य को बिना अग्नि के ही जला देती है.  

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3) ऋणस्य शेषं कुनृपस्य सेवा ।।

कदरिद्रभावो विषमा सभा च ।

विनाग्निना ते प्रदहन्ति कायम् ।।

इस श्लोक से चाणक्य का अर्थ है कि जिस इंसान की पत्नी उसे छोड़कर चली जाती है. उसका दर्द केवल वही समझ सकता है. वही इंसान अपनों द्वार जब बेइज्जत होता है तो ये बहुत बड़ा कष्ट होता है. ये एक ऐसी कष्टकारी पीड़ा होती है. जिसे किसी के लिए भूल पाना बेहद मुश्किल होता है. इससे भी ज्यादा कष्टकारी दुष्ट राजा की सेवा करना होता है. 

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