आचार्य चाणक्य (acharya chanakya) ने अपनी नीतियों में जीवन के हर पहलू के बारे में बताया है. उनकी बताई गई हर एक बात में जीवन के किसी न किसी मोड़ की सच्चाई (Chanakya Niti) छिपी है. भागदौड़ भरी जिदंगी में आप उनके विचारों को अनदेखा ही क्यों न कर दें लेकिन, अगर उन्हें ध्यान में रखा जाए तो ये जरूर आपको हर कसौटी (chanakya niti life lessons) में खरे उतारेंगे. आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे. जिसमें उन्हें ऐसे लोगों के बारे में बताया है जो हमेशा असफल (chanakya stories) होने के साथ-साथ दुखी भी रहते हैं.
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श्लोक -
अनागतविधाता च प्रत्युत्पन्नमतिस्तथा ।
द्वावेतौ सुखमेधेते यद्भविष्यो विनश्यति ॥
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आचार्य चाणक्य के इस श्लोक के मुताबिक, वे कहना चाहते हैं कि जो भविष्य के लिए तैयार है और जो किसी भी परिस्थिति को चतुराई से निपटता है. ये दोनों व्यक्ति सुखी रहते हैं. लेकिन, जो आदमी सिर्फ नसीब के सहारे चलता है वो बर्बाद हो जाता है.
दरअसल, आचार्य चाणक्य जी ने इस श्लोक में कहा है जो लोग किसी भी आने वाली विपत्ति को चतुराई से निपटाते हैं. जो आने वाले भविष्य के लिए तैयार रहता है. वही व्यक्ति सुखी रहता है. वहीं इसके विपरीत जो व्यक्ति ये सोचकर बैठा रहता है कि जो नसीब में लिखा है वह तो होकर ही रहेगा. ऐसा व्यक्ति जरूर बर्बाद हो जाता है और अंत में उसे दुख ही (chanakya niti for success in life) प्राप्त होता है.