सनातन धर्म में मंत्रों शक्ति की शक्तियों का जिक्र कई जगह किया गया है. यही कारण है कि अक्सर धार्मिक गुरुओं की तरफ से मंत्रों के सही उच्चारण के साथ जप पर जोर दिया जाता है. मंत्रों में इतनी शक्ति होती है कि इससे अनिष्टकारी बाधाओं को बड़ी ही आसानी से दूर किया जा सकता है. लोगों के जीवन में कई तरह के भय होते हैं जिनमें शत्रु भय, धन भय जैसे कई डर शामिल होते हैं. इसीलिए एक ऐसा मंत्र है जिसे लेकर कहा जाता है कि अगर आप रात को सोते समय इसका जाप करते हैं तो कोई भी शत्रु कभी आप पर विजय नहीं हासिल कर सकता. यानी आप अपने हर शत्रु को परास्त करेंगे. साथ ही साथ आप ऊपरी बाधाओं के फेर से भी खुद को और अपने परिवार को बचा सकेंगे.
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इस मंत्र से जुड़ी एक कहानी है. दरअसल जब भगवान विष्णु शेषनाग शैया पर विश्राम करते हुए निद्रा की अवस्था में थे तब उनके कानों के मैल से मधु-कैटभ नाम के दो दैत्यों का जन्म हुआ. वक्त के साथ ये दोनों दैत्य बेहद कुख्यात हुए और अक्सर ऋषि मुनियों को परेशान किया करते थे. एक बार ये दोनों दैत्य ब्रह्मा जी के पास पहुंचे. दैत्यों ने बह्मा जी से कहा कि आप या तो हमसे युद्ध करें या पद्मासन छोड़ दीजिए. ब्रह्मा जी ने देखा कि उनके जैसा तपस्वी इन दैत्यों से युद्ध करने में अक्षम है तो भगवान विष्ण के पास पहुंचे. ब्रह्मा जी ने देखा कि भगवान विष्णु सो रहे हैं. ब्रह्मा जी भगवान विष्णु को जगाने के काफी प्रयास करते हैं लेकिन उनकी नींद नहीं टूटी. ब्रह्मा जी ने देखा कि भगवान विष्णु सिर्फ निद्रा नहीं बल्कि योगनिद्रा के वशीभूत हैं.
योगनिद्रा भी देवी हैं. विष्णु को योगनिद्रा में देखकर ब्रह्मा जी ने योगनिद्रा देवी का स्मरण किया. ब्रह्मा जी ने जिस मंत्र का पाठ किया वो है- निद्रां भगवतीं विष्णोरतूलां तेजसः प्रभुः।।... जब योगनिद्रा की ब्रह्मा जी अनेक प्रकार से स्तुति करते हैं तो देवी के प्रभाव से विष्णु भगवान की नींद टूटती है. इसके बाद भगवान विष्णु ने कई वषों तक युद्ध कर मधु-कैटभ दैत्यों का संहार किया. योगनिद्रा के इस मंत्र की स्तुति करने से शत्रु पर विजय के साथ धन-धान्य भी मिलता है. क्योंकि जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु हैं और वो भी योगनिद्रा के वशीभूत हैं. हम जब भी किसी कार्य के लिए योगनिद्रा से प्रार्थना करते हैं तो भगवान विष्णु भी कृपा करते हैं. इस मंत्र को पढ़ने से रात को नींद भी अच्छी आती है.