बद्रीनाथ मंदिर (badrinath temple) को बदरीनारायण मंदिर भी कहा जाता है. ये मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे उत्तराखंड राज्य में स्थित है. ये मंदिर भगवान विष्णु के रूप बद्रीनाथ (Badrinath Dham yatra) को समर्पित है. ये हिन्दुओं के चार धाम में से एक धाम है. ये मंदिर ऋषिकेश से 294 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर दिशा में स्थित है. ये पंच बदरी में से एक बद्री भी है. अब, बद्रीनाथ धाम के कपाट (kapat of Badrinath opened) खोल दिए गए हैं. अगर आप भी यहां यात्रा पर जाने का प्लान बना रहे हैं. तो, भगवान नारायण के इस मंदिर (badrinath dham) से जुड़ी कुछ अनकहीं बातें जान लें.
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इस मंदिर में भगवान नारायण की पूजा का प्रावधान है. कहा जाता है कि योग मुद्रा में विराजमान भगवान नारायण की पूजा छह माह मानव और छह माह देवता करते हैं. जिसमें देवताओं की पूजा का समय शीतकाल में जारी रहता है.
मंदिर के गर्भग्रह में भगवान विष्णु के साथ नर नारायण की मूर्ति भी स्थापित है. कहा जाता है कि इन्हें स्पर्श करने का अधिकार केवल केरल के पुजारी को होता है. माना जाता है कि रावल ही इस मूर्ति को छू सकते हैं. लेकिन, दूसरों को स्पर्श करने के लिए मना किया जाता है.
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माना जाता है कि केदारनाथ और बद्रीनाथ के कपाट खुलते हैं. उस समय मंदिर में जलने वाले दीपक के दर्शन का खास महत्व होता है. ऐसा माना जाता है कि 6 महीने तक बंद दरवाजे के अंदर देवता इस दीपक को जलाए रखते हैं.
बद्रीनाथ के बारे में कहा जाता है कि यहां पहले भगवान भोलेनाथ का निवास हुआ करता था लेकिन बाद में भगवान विष्णु ने इस स्थान को भगवान शिव से मांग (unknown facts of badrinath temple) लिया था.