सावन का महीना खत्म होने वाला है. ऐसे में इस महीने का आखिरी शुक्रवार काफी अहम माना जाता है. ये दिन मां वरलक्ष्मी (varalaxmi vrat 2022) के लिए होता है. इस दिन शादीशुदा महिलाएं और पुरुष व्रत रखते हैं. जिससे उनको सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस दिन व्रत रखने से लोगों की जिंदगी से गरीबी दूर हो जाती है. इस बार वरलक्ष्मी व्रत 12 अगस्त (varalaxmi vrat 2022 date) को पड़ रहा है. वरलक्ष्मी व्रत का दिन धन और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण दिनों में से एक माना जाता है. वरलक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं. इसके साथ ही देवी महालक्ष्मी के रूपों में से एक हैं.
वरलक्ष्मी को दूधिया सागर से अवतरित माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि देवी का ये वरलक्ष्मी रूप (varalaxmi vrat 2022 puja) वरदान देता है. अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं को पूरा करता है. इसलिए देवी के इस रूप को वरलक्ष्मी यानी कि वरदान देने वाली देवी लक्ष्मी के नाम से जाना जाता है. तो, चलिए इस दिन से जुड़ी कुछ खास बातें जानते हैं.
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भक्तों को वरदान देता है देवी का वरलक्ष्मी रूप -
ऐसा माना जाता है कि देवी का वरलक्ष्मी रूप वरदान देता है और अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करता है. इसलिए देवी के इस रूप को वरलक्ष्मी यानी वरदान देने वाली देवी लक्ष्मी (varalaxmi vrat 2022 bhakt vardaan) के नाम से जाना जाता है.
लंबे समय तक मिलता है पुण्य -
वरलक्ष्मी व्रत को तो वैसे अधिकतर पूरे भारत में मनाया जाता है, लेकिन दक्षिण भारत में इसकी विशेष मान्यता है. इस व्रत को केवल शादीशुदा लोग ही रख सकते हैं. इस व्रत को अष्टलक्ष्मी की पूजा के समान पुण्यदाई माना गया है. इस व्रत को रखने से गरीबी दूर हो जाती है और परिवार में सौभाग्य, सुख और संतान सबकुछ प्राप्त होता है. इस व्रत का पुण्य लंबे समय तक बना रहता है और इसका लाभ आने वाली पीढ़ियों (varalaxmi vrat 2022 punya) को भी मिलता है.