हिंदू धर्म में वट पूर्णिमा व्रत (vat purnima 2022 vrat) का विशेष महत्व होता है. अमावस्या तिथि पर वट सावित्री का व्रत रखा जाता है, तो वहीं पूर्णिमा तिथि को वट पूर्णिमा व्रत (Vat Purnima Vrat 2022 June) के नाम से जाना जाता है. पति की लंबी आयु, अखंड सौभाग्य और खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए सुहागिन महिलाएं इस व्रत को करती हैं. 30 मई के वट सावित्री व्रत के बाद अब, मंगलवार यानी 14 जून को वट पूर्णिमा व्रत रखा (vat purnima 2022 vrat jyeshtha month) जाएगा.
शास्त्रों में वट अमावस्या और वट पूर्णिमा का महत्व एक समान बताया गया है. वट सावित्री की तरह इसमें भी बरगद पेड़ की पूजा की जाती है और सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु की कामना के लिए इस दिन व्रत रखती है. तो, चलिए इस दिन की पूजन सामग्री और विधि के बारे में जान लें.
वट पूर्णिमा 2022 व्रत पूजन सामग्री
वट पूर्णिमा का व्रत रखने वाली महिलाओं को दो टोकरियों में पूजा का सामान सजाकर रखना चाहिए. इसमें सावित्री और सत्यवान की मूर्ति, कलावा, बरगद का फल, धूप, दीपक, फल, फूल, मिठाई, रोली, सवा मीटर का कपड़ा, बांस का पंखा, कच्चा सूत, गंध, इत्र, पान, सुपारी, नारियल, सिंदूर, कुमकुम, अक्षत, रोली, चंदन, बताशा, सुहाग सामग्री, भीगा चना, जल कलश, मूंगफली के दाने, मखाने का लावा, वट पूर्णिमा व्रत कथा की पुस्तक (vat Purnima 2022 vrat puja samagri) जैसी चीजें शामिल होती हैं.
वट पूर्णिमा 2022 व्रत पूजा विधि
इस दिन सुबह-सुबह उठकर स्नान कर लें. फिर, अपने घर की सफाई करें और धुले हुए कपड़े पहनें. इस दिन माथे पर पीला सिंदूर लगाएं. फिर, बरगद के पेड़ के सामने सत्यवान, सावित्री और यमराज की मूर्ति या मूर्ति रखें. मूर्ति के सामने दीया जलाएं और फूल, मिठाई, अक्षत चढ़ाएं. बरगद के पेड़ की जड़ों में जल चढ़ाएं. बरगद के पेड़ पर धागा बांधें. पेड़ के चारों ओर सात फेरे लें. वट पूर्णिमा की व्रत कथा पढ़ें. वट पूर्णिमा व्रत की कथा वट सावित्री व्रत की कथा ही है. इसमें कोई भेद नहीं है. इसके बाद जरूरतमंदों को धन और वस्त्र भेंट करें. इस व्रत के दौरान महिलाएं एक-दूसरे को बधाई देती हैं और आभूषण उपहार (vat Purnima 2022 vrat pujan vidhi) में देती हैं.