Advertisment

जानिए क्या है देव दीपावली का महत्व, काशी में क्यों जलाए जाते हैं लाखों दीये

हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है. पूरे कार्तिक महीने में पूजा, अनुष्ठान और दीपदान का विशेष महत्व होता है. इस कार्तिक माह में ही देवी लक्ष्मी की जन्म हुआ था और इसी महीने में भी भगवान विष्णु चार माह की योग निद्रा से जागे थे.

author-image
Vijay Shankar
एडिट
New Update
Dev diwali

Dev diwali ( Photo Credit : File Photo)

Advertisment

मान्यता है कि देव दीपावली के दिन सभी देवता बनारस के घाटों पर आते हैं. कार्तिक पूर्णिमा के इस विशेष दिन पर भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था. त्रिपुरासुर के वध के बाद सभी देवी-देवताओं ने मिलकर खुशी मनाई थी. काशी में देव दीपावली मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. इस दिन दीपदान करने का विशेष महत्व होता है. ऐसा कहा जाता है कि भगवान शंकर ने खुद देवताओं के साथ गंगा के घाट पर दिवाली मनाई थी, इसलिए देव दीपावली का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है. इसलिए काशी में दीपावली के 15 दिनों के बाद कार्तिक पूर्णिमा तिथि पर देव दीपावली का उत्सव मनाया जाता है. इस  साल यह विशेष पर्व 19 नवंबर को है. कहा जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही समस्त देवी-देवता स्वर्ग से धरती पर आते हैं और गंगा स्नान करने के बाद दीप जलाकर देव दीपावली का त्योहार मनाते हैं. पूर्णिमा के दिन लोग खूबसूरत रंगोली और लाखों दीये जलाकर इस त्योहार को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं.

यह भी पढ़ें : वाराणसी से पीएम मोदी ने की आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन की शुरुआत

काशी में ही क्यों मनाए जाते हैं देव दीपावली

पौराणिक कथाओं में इस बात का उल्लेख है कि त्रिपुरासुर नामक राक्षस के अत्याचारों से सभी बहुत त्रस्त हो चुके थे. इस राक्षस से मुक्ति दिलाने के लिए ही भगवान शिव ने इसका संहार कर दिया था. उसके आतंक से जिस दिन मुक्ति मिली थी उस दिन कार्तिक पूर्णिमा का दिन था. तभी से भगवान शिव का एक नाम त्रिपुरारी पड़ा. इससे सभी देवों को अत्यंत प्रसन्नता हुई. तब सभी देवतागण भगवान शिव के साथ काशी पहुंचे और दीप जलाकर खुशियां मनाई. कहते हैं कि तभी से ही काशी में कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली मनाने का प्रचलन है. 

कार्तिक पूर्णिमा का महत्व

हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है. पूरे कार्तिक महीने में पूजा, अनुष्ठान और दीपदान का विशेष महत्व होता है. इस कार्तिक माह में ही देवी लक्ष्मी की जन्म हुआ था और इसी महीने में भी भगवान विष्णु चार माह की योग निद्रा से जागे थे. कार्तिक पूर्णिमा के पवित्र  अवसर पर श्रद्धालु गंगा में पवित्र डुबकी लगाते हैं और शाम को मिट्टी के दीपक या दीया जलाते हैं. गंगा नदी के तट पर घाटों की सभी सीढ़ियां लाखों मिट्टी के दीयों से जगमगाती हैं. यहां तक कि वाराणसी के सभी मंदिर भी लाखों दीयों से जगमगाते हैं.

वाराणसी में दिवाली और देव दिवाली के बीच अंतर

अमावस्या के दिन पूरे भारत में दिवाली मनाई जाती है क्योंकि भगवान राम 14 साल के वनवास के बाद रावण को मारने के बाद अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अपने घर वापस आए थे. देव दिवाली दिवाली के ठीक 15 दिन बाद मनाई जाती है. इसे कार्तिक पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है.

HIGHLIGHTS

  • काशी में दीपावली के 15 दिनों के बाद मनाया जाता है देव दीपावली
  • हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है
  • कार्तिक पूर्णिमा के पवित्र अवसर पर श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाते हैं

Source : News Nation Bureau

varanasi वाराणसी Kashi Dev Deepawali काशी Significance Importance देव दीपावली महत्व lakhs lights illuminate celebrate लाख दीये जगमग उत्सव देव दिवाली
Advertisment
Advertisment