इस साल मिथुन संक्रांति 15 जून (Mithun Sankranti 2022) को मनाई जाएगी. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान और सूर्य पूजा करने की परंपरा है. ज्योतिष अनुसार अब सूर्य देव इस राशि में एक माह तक रहेंगे. माना जाता है कि इस दिन से वर्षा ऋतु की शुरुआत हो जाती है. इस दिन को रज संक्रांति (raja sankranti) के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन को त्योहार की तरह मनाया जाता है. जिसे राजा परबा कहा जाता है. उड़ीसा में ये चार दिन पहले से ही शुरु हो जाता है. जिसमें भू देवी यानी धरती माता की विशेष पूजा की जाती है.
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इस त्योहार (mithun sankranti tithi 2022) में महिलाओं के साथ कुंवारी लड़कियां भी अच्छे वर की कामना के लिए हिस्सा लेती हैं. चार दिन तक चलने वाले इस पर्व में पहले दिन को पहिली राजा, दूसरे दिन को मिथुन संक्रांति (mithun sankranti 2022 surya dev puja) या राजा, तीसरे दिन को भू दाहा या बासी राजा और चौथे दिन को वसुमती स्नान कहा जाता है.
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सिलबट्टे की पूजा क्यों करें
सिलबट्टे को धरती माता का रूप माना गया है. इसलिए, इन तीन दिनों में इसका उपयोग नहीं करना चाहिए. चौथे दिन सिलबट्टे को जल और दूध से स्नान कराया जाता है. फिर चंदन, सिंदूर और फूल से भू देवी यानी सिलबट्टे की पूजा की जाती है.
इस दिन दान का बहुत महत्व है. गेहूं, गुड़, घी, अनाज आदि का दान करना चाहिए.
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माना जाता है कि जैसे महिलाओं को हर महीने मासिक धर्म होता है. जो उनके शरीर के विकास का प्रतिक है. वैसे ही ये तीन दिन भू देवि यानी धरती मां के मासिक धर्म वाले होते हैं. जो कि पृथ्वी के विकास का प्रतिक है. वहीं चौथा दिन धरती के स्नान का होता है जिसे वसुमती गढ़ुआ (Mithun Sankranti 2022 silbatta puja) कहते हैं.