Krishna Chhati 2022: देशभर में 18 और 19 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई गई थी. जन्मोत्सव के बाद अब कान्हा की छटी होगी. जिसे कृष्ण छटी के नाम से जाना जाता है. बच्चे के जन्म के 6 दिन बाद छटी का उत्सव मनाया जाता है. इस साल कान्हा की छटी 24 अगस्त, दिन बुधवार को पड़ रही है. धार्मिक कथाओं के अनुसार, छटी के दिन लड्डू गोपाल की पूजा बेहद अलग रूप में की जाती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि कन्हैया के छटी महोत्सव में क्या कुछ होता है विशेष और क्या है इस दिन की पूजा विधि.
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कृष्ण छटी 2022 पूजा विधि (Krishna Chhati 2022 Puja Vidhi)
- जन्माष्टमी पर कान्हा का जन्म होता है और छह दिन बाद लल्ला की छठी की पूजा की जाती है.
- इस दिन सुबह स्नना के बाद बाल गोपाल को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल) से स्नान करवाया जाता है.
- इसके बाद दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल भरें और बाल गोपाल का फिर से अभिषेक करें.
- कान्हा को उनके प्रिय पीले रंग के वस्त्र पहनाएं और उनका शृंगार करें.
- इस दौरान चंदन का टीका लगाएं, धप, दीप अर्पित करें.
- इसके बाद कान्हा को उनका प्रिय माखन मिश्री का भोग लगाएं.
- इसके बाद उनका कोई भी पंसदीदा नाम जैसे- लड्डू गोपाल, ठाकुर जी, कान्हा, माधव, आदि नाम रख सकते हैं.
- छठी के बाद उन्हें उसी नाम से बुलाएं.
- मान्यता है कि इस दिन घर में कढ़ी चावल बनाए जाते हैं.
कृष्ण छटी 2022 षष्ठी देवी (Krishna Chhati 2022 Shashthi Devi)
छटी पर षष्ठी देवी की पूजा का विधान है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार षष्ठी देवी की कृपा से राजा प्रियव्रत का मृतपुत्र फिर से जीवित हो गया था. शास्त्रों के अनुसार, षष्ठी देवी बच्चों की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं. इसलिए नवजात की छठे दिन षष्ठी देवी की पूजा करने से बच्चे हमेशा स्वस्थ रहता है.