हर साल भगवान कृष्ण के भक्त जन्माष्टमी का बहुत बेसब्री से इंतजार करते हैं। पूरी रात भगवान कृष्ण के जन्मदिन का जश्न धूमधाम से मनाया जाता हैं। मंदिरों से लेकर घरों तक 56 भोग लगाया जाता है। जन्माष्टमी का व्रत सबसे बड़ा होने की मान्यता है, लेकिन इस बार जन्माष्टमी को लेकर भक्त असमंजस में है कि आज है 15 अगस्त को। दरअसल कृष्णा का जन्म भादप्रद माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्य रात्रि के रोहिणी नक्षत्र में वृष के चंद्रमा में हुआ था।
श्रीकृष्ण का जन्म श्रावण मास के आठवें दिन यानि अष्टमी पर मध्यरात्रि में हुआ था। जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण की पूजा करने का खास महत्व है। जन्माष्टमी पर भगवान को पीले फूल अर्पित करें तो घर में बरकत होगी। नंदलाला के लिए 56 भोग तैयार किया जाता है जो कि 56 प्रकार का होता है।
भोग में माखन मिश्री खीर और रसगुल्ला, जलेबी, रबड़ी, मठरी, मालपुआ, घेवर, चीला, पापड़, मूंग दाल का हलवा, पकोड़ा, पूरी, बादाम का दूध, टिक्की, काजू, बादाम, पिस्ता जैसी चीजें शामिल होती हैं। अगर आप भगवान को छप्पन भोग प्रसाद में नहीं चढ़ा पाते हैं तो माखन मिश्री एक मुख्य भोग है।
आमतौर पर जन्माष्टमी के मौके पर श्रीकृष्ण को माखन मिश्री चढ़ाया जाता है। श्री राधाकृष्ण बीज-मंत्र का जप करें। भक्ति एवं संतान प्राप्ति के लिए गोपाल, कृष्ण, राधा या विष्णु सहस्रनाम का पाठ व तुलसी अर्चन करें। सभी चीजें दाहिने हाथ से भगवान कृष्ण को अर्पित करें।
भगवान कृष्ण को पीले और हरे वस्त्र पहनाएं। भगवान कृष्ण के मुकुट में मोरपंख जरूर लगाएं, इससे कृष्ण जी की विशेष कृपा आपको प्राप्त होगी।
Source : News Nation Bureau