2 सितम्बर 2018 दिन पूरा देश भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन को जन्माष्टमी के रूप में मनाएगा। वहीं उदया तिथि अष्टमी एवं उदय कालिक रोहिणी नक्षत्र को मानने वाले वैष्णव जन 3 सितम्बर सोमवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत पर्व मनाएंगे। यशोदा-नन्द के लाला और देवकी-वसुदेव के पुत्र कन्हैया का जन्म रोहिणी नक्षत्र में भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि को मध्य रात्रि वृष लग्न में हुआ था। इस मौके पर पढ़िए श्रीमद् भगवत गीता से श्रीकृष्ण के 7 कोट्स
1. जीवन न तो भविष्य में है और ना ही अतीत में, जीवन तो बस इस पल में है
2. जो अपने मन को नियंत्रित नहीं करते, उनका मन ही उनका सबसे बड़ा शत्रु है।
3. भय, राग द्वेष से रहित मनुष्य ही इस लोक और परलोक में सुख पाते हैं।
4. जो हुआ अच्छा हुआ, जो हो रहा है अच्छा हो रहा है, जो होगा वह भी अच्छा ही होगा, तुम भूत का पश्चाताप न करो।
5. परिवर्तन संसार का नियम है।
6-न यह शरीर तुम्हारा है और न तुम शरीर के हो। यह अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश से बना है और इसी में मिल जाएगा।
7. मन अशांत है और उसे नियंत्रित करना कठिन है, लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है।
8.इंसान का स्वार्थ उसे अन्य लोगों से दूर ले जाकर नकारात्मक हालातों की ओर धकेलता है। परिणामस्वरूप व्यक्ति अकेला रह जाता है। स्वार्थ शीशे में फैली धूल की तरह है, जिसकी वजह से व्यक्ति अपना प्रतिबिंब ही नहीं देख पाता। अगर जीवन में खुश रहना चाहते हैं तो स्वार्थ को कभी अपने पास भी ना आने दें।
9.जिसका कोई नहीं होता उसका भगवान होता है, स्पष्ट है कि ईश्वर हमेशा अपने मनुष्यों का साथ देता है।
10.इंसान को कभी अपने कर्तव्यों से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए। उसका जीवन उसके कर्मों के आधार पर ही फल देगा, इसलिए कर्म करने में कभी हिचकना नहीं चाहिए।
Source : News Nation Bureau