Kuldevi Puja in Navratri: नवरात्रि आने में बस 2 ही दिन बचे हैं. भारत में अधिकांश सनातनी परिवारों में माता रानी की सेवा और पूजा की जाती है. बहुत से लोग उपवास करते हैं, बच्चे, बालक, कन्याएं भी नवरात्रि के दौरान उपवास करती हैं. कई लोग कठोर साधना करते हैं, बिना किसी चीज़ के केवल लौंग पर रहते हैं जबकि कुछ लोग आंशिक उपवास करते हैं. ऐसे ज्यादातर लोग जो खुद को सनातनी मानते हैं माता रानी के प्रति गहरी श्रद्धा रखते हैं. बहुत से लोग नहीं जानते कि उनकी कुलदेवी कौन हैं, और जो जानते हैं, उनमें से भी कई पूजा करने से कतराते हैं. यही कारण है कि घर में समस्याएं आती हैं, कोई कहता है कि उसके घर में परेशानियां हैं, कोई कहता है कि व्यापार नहीं चल रहा, दुकान नहीं चल रही, परिवार के सदस्यों में आपसी झगड़े हो रहे हैं. भाई-बहनों में गलतफहमी हो रही है या विवाद हो रहे हैं.
ये समस्याएं तब उत्पन्न होती हैं जब हमारे देवी-देवता हमसे नाराज होते हैं. जिस प्रकार हमारे घरों में अलग-अलग स्थानों पर अग्नि, कुबेर, वरुण का स्थान होता है उसी तरह कुलदेवी का भी स्थान होता है. अगर हमारी कुलदेवी हमसे प्रसन्न हों तो यकीन मानिए केवल सात दिनों में आपकी किस्मत बदल सकती है. आपके रुके हुए काम शुरू हो जाएंगे, घर में शांति लौट आएगी, झगड़े कम हो जाएंगे.
कुलदेवी की उपासना का विशेष उपाय (Special measure for worship of Kuldevi)
इस उपाय के लिए आवश्यक वस्तुओं की एक सूची नोट करें. एक छोटा लाल कपड़ा चाहिए, थोड़ा चंदन का पाउडर, कलावा, कुंकुम, रोली, एक छोटा सा काला कोयला, थोड़ी भस्म, हल्दी की गांठ, और लोबान वाली धूप लेनी होगी. आप किसी भी किराने की दुकान पर जाकर लोबान वाली धूप मांग सकते हैं, जो छोटे टुकड़े में होगी.
इन सभी वस्तुओं को लाल कपड़े में रखना है- हल्दी की गांठ, कोयला, भस्म, कुमकुम और लोबान वाली धूप. एक छोटी सी पोटली बनाएं और कलावे से उसे बांध दें. यह पोटली बहुत बड़ी नहीं होनी चाहिए, सिर्फ छोटी सी.
नवरात्रि के पहले दिन, अपने घर के मुख्य दरवाजे के पीछे इस पोटली को बांध दें. यह कुलदेवी या आठ सिद्धियों का स्थान माना जाता है. इस पोटली को नवरात्रि के पूरे नौ दिनों तक वहीं बांधे रखें. जब भी आप घर में पूजा करें, धूप जलाएं, और नियमित रूप से उस पोटली की भी पूजा करें. घर की सफाई रखें. सात दिनों में ही आप इसके प्रभाव को महसूस करेंगे.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)