Kurma Jayanti 2022, Dhan Prapti Gupt Upay: भगवान विष्णु के हर अवतार का अपना विशेष महत्व है. इन्हीं अवतारों में भगवान विष्णु का एक अवतार कूर्म अर्थात कछुए का भी था. आज यानी कि 15 मई को कुर्म जयंती के अवसर पर भगवान विष्णु के इसी अवतार की पूजा अर्चना का विधान है. कूर्म जयंती वैशाख मास की पूर्णिमा (Vaishakh Purnima 2022) के दिन मनाई जाती है. चूंकि वैशाख पूर्णिमा तिथि का आरंभ कल से हो रहा है ऐसे में यह जयंती कल तक यानी कि 16 मई तक मनाई जाएगी. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु कच्छप (कछुआ) अवतार लेकर प्रकट हुए थे. साथ ही समुद्र मंथन के वक्त अपनी पीठ पर मंदरांचल पर्वत को उठाकर देवताओं व दानवों की सहायता भी की थी. ऐसे में आज कुर्म जयंती के पर्व पर हम आपको कुछ बेहद ही खास और गुप्त उपाय बताने जा रहे हैं जिन्हें आजमाने से न सिर्फ धन से जुड़ी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं बल्कि विशेष लाभ की प्राप्ति होती है और मान सम्मान में वृद्धि के होने के योग बनने लगते हैं.
कूर्म जयंती पर ये उपाय करने से होगा विशेष लाभ
- कूर्म जयंती पर नया मकान या कुछ अन्य निर्माण करा रहे हैं तो चांदी का कछुआ डालने से घर के लोगों की तरक्की व ऐश्वर्य बढ़ता है और वास्तु दोष समाप्त हो जाता है. बच्चों की पढ़ाई के लिए मिट्टी का कछुआ उनके कमरे में स्थापित करें. लोग अपने सोने के कमरे में धातु का कूर्म (कछुआ) रखकर मानसिक शांति व अच्छी नींद पा सकते हैं.
- कूर्म जयंती पर रसोई घर में कछुए की स्थापना करें, इससे रसोई घर में बनने वाली कोई भी वस्तु रोगमुक्त रहेगी. इसके अलावा घर की छत पर कूर्म की स्थापना करने से शत्रुओं का नाश होता है. यदि आप किराए के मकान में रह रहे हैं, तो अपने मकान के लिए भगवान कूर्म की पूजा करेंगे तो विष्णु जी की जरूर कृपा बरसेगी.
- यदि कमरा, रसोई, खिड़की आदि सही दिशा में नहीं है तो उन्हें तोड़ने की बजाय कछुए का निशान लाल चंदन, कुमकुम व केसर को मिलाकर बनाएं, जिसका मुंह नीचे और पिछला हिस्सा आकाश की ओर हो. यह प्रयोग कूर्म जयंती पर शाम को करें और इसकी पूजा करें, तो इन स्थानों के वास्तु दोष दूर होते हैं.
वेद और पुराणों में कूर्म अवतार
- लिंग पुराण के अनुसार पृथ्वी को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने कूर्म अवतार लिया था.
- नृसिंह पुराण और भागवत पुराण के अनुसार भगवान विष्णु का ग्यारहवां अवतार है.
- शतपथ ब्राह्मण, महाभारत और पद्मपुराण में कहा गया है कि संतति प्रजनन हेतु प्रजापति, कच्छप का रूप धारण कर पानी में संचरण करता है.
- लिंग पुराण के अनुसार पृथ्वी रसातल को जा रही थी, तब विष्णु ने कच्छप रूप में अवतार लिया.
- पद्मपुराण में बताया गया है कि समुद्र मंथन के दौरान जब मंदराचल पर्वत रसातल में जाने लगा तो भगवान विष्णु ने कछुए का रूप लिया और उसे अपनी पीठ पर संभाला.
- वहीं कूर्म पुराण में बताया गया है कि भगवान विष्णु ने कच्छप अवतार इसलिए लिए था ताकि साधु-संतों को जीवन के चार लक्ष्यों यानी धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष का ज्ञान दे सकें.
- नृसिंह और भागवत पुराण में कूर्म अवतार को भगवान विष्णु का ग्यारहवां अवतार बताया गया है जबकि कई जगहों पर इसे भगवान विष्णु का दूसरा या तीसरा अवतार होने की भी बात सामने आती है.
गुप्त मनोकामना की पूर्ति के लिए
आज सूर्यास्त से पहले एक मिट्टी की वेदी बनाकर उसपर स्वास्तिक का निर्माण करें. फिर उस पर मूल और पत्तों सहित एक केले का पेड़ स्थापित करें और उसका रोपण कर गंध दीप आदि से पूजन करें. उस समय एक मनोकामना का स्मरण अवश्य करें.
इस दिन घर ले आएं ये एक चीज
ज्योतिषिविदों का कहना है कि कूर्म जयंती के दिन घर में चांदी या धातु से बना कछुआ लाना बहुत शुभ होता है. इससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह कम होता है. आप घर की उत्तर दिशा में कूर्म यंत्र भी रख सकते हैं. इसे बेडरूम में रखने की बजाए ड्रॉइंग रूम में रखें. जिस घर में धातु से बना कछुआ रहता है, वहां कभी धन के भंडार खाली नहीं रहते हैं.