Kya Kehta Hai Islam: कुरान को "कलाम अल्लाह" यानी "अल्लाह की वाणी" के रूप में माना जाता है और इसे अरबी भाषा में लिखा गया है. यह एक प्रत्यक्ष रूप से अल्लाह की भावनाओं का संग्रह है और मुस्लिम समुदाय के लिए आदर्श जीवन का मार्गदर्शन करता है. कुरान एकेश्वरवादी धर्मग्रंथ है जो ईश्वर (अल्लाह) के संदेशों का संग्रह है. यह मुसलमानों के लिए सबसे पवित्र ग्रंथ है. हिंदू धर्म एक बहुदेववादी धर्म है जिसमें कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है. कुरान में हिंदू धर्म का उल्लेख जटिल और विवादास्पद विषय है जिस पर विद्वानों के बीच सहमति नहीं है. कुरान में "हिंदू धर्म" शब्द का सीधा उल्लेख नहीं है. हालांकि, कुछ ऐसे शब्द और अवधारणाएं हैं जिनकी व्याख्या कुछ विद्वानों द्वारा हिंदू धर्म से संबंधित के रूप में की जाती है.
क्या कुरान में हिंदू धर्म का जिक्र है?
सबियन्स (Sabians)
कुरान में सबियन्स शब्द का उल्लेख है, जिसे कुछ विद्वान हिंदू धर्म के एक प्राचीन रूप, संभवतः "शाहीन शैव" या "सिद्धांत" से जोड़ते हैं. यह एक तपस्वी परंपरा थी जो सूर्य, चंद्रमा और सितारों सहित प्राकृतिक तत्वों की पूजा करती थी. हालांकि, सभी विद्वान इस बात से सहमत नहीं हैं कि सबियन हिंदू थे, क्योंकि उनकी मान्यताओं में कुछ महत्वपूर्ण अंतर थे.
मजुस (Magus)
यह शब्द पारसी धर्म के पुजारियों को संदर्भित करता है, लेकिन कुछ विद्वानों का मानना है कि इसका उपयोग कुछ हिंदू संप्रदायों, विशेष रूप से ज्योतिषियों और तंत्र साधकों को भी दर्शाने के लिए किया जा सकता है. यह व्याख्या इस तथ्य पर आधारित है कि इन समूहों में कुछ समान मान्यताएं और प्रथाएं थीं, जैसे कि आग की पूजा और तंत्रिक अनुष्ठानों का उपयोग.
अहल-ए-किताब (Ahl-al-Kitab)
यह शब्द उन लोगों को संदर्भित करता है जिनके पास ईश्वरीय ग्रंथ हैं, जैसे कि यहूदी, ईसाई और कुछ विद्वानों के अनुसार, कुछ हिंदू समूह, जैसे कि वेदों और उपनिषदों का पालन करने वाले. यह व्याख्या इस धारणा पर आधारित है कि इन धर्मों में एकेश्वरवादी तत्व और पवित्र ग्रंथों का सम्मान है.
कुरान 2:256:
यह आयत उन लोगों का उल्लेख करती है जो "ईश्वर पर और उसके दूतों और किताबों पर और मलाइका पर और दिन-ए-आखिरत पर और तक़दीर पर ईमान रखते हैं." कुछ विद्वानों का तर्क है कि यह विवरण कुछ हिंदू समूहों पर भी लागू हो सकता है, जो एक ईश्वर (ब्रह्म) में विश्वास करते हैं, पवित्र ग्रंथों (वेदों, उपनिषदों) का सम्मान करते हैं, और आत्मा के पुनर्जन्म और कर्म के सिद्धांत में विश्वास करते हैं.
कुरान 5:65:
यह आयत उन लोगों का उल्लेख करती है जो "अपने धर्म पर कायम रहे" और "अल्लाह के साथ किसी भी तरह की शिर्क (सहयोगी) नहीं जोड़ा." यह कुछ हिंदू संप्रदायों, विशेष रूप से एकेश्वरवादी शैवों और वैष्णवों पर भी लागू हो सकता है, जो कई देवताओं की पूजा करते हैं, लेकिन उन्हें एक सर्वोच्च ईश्वर (ब्रह्म या विष्णु) के अधीन मानते हैं.
कुछ विद्वानों का मानना है कि कुरान में इन शब्दों का उपयोग केवल सामान्य अर्थों में किया गया है और उनका हिंदू धर्म से कोई विशेष संबंध नहीं है. अंततः, यह कहना मुश्किल है कि कुरान हिंदू धर्म का जिक्र करता है या नहीं. यह व्याख्या व्यक्तिगत विद्वानों और उनकी व्याख्याओं पर निर्भर करता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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Source : News Nation Bureau