Kya Kehta Hai Islam: धर्म और हिंसा के लिए एक ही शब्द काफी है. कई बार देखा गया है कि सिर्फ एक शब्द से क़त्लेआम हो जाता है. इस्लाम धर्म के कई ऐसे शब्द हैं जिसे समय के साथ-साथ इस तरह बदला गया है कि अब वो शब्द दंगों का कारण बन जाते हैं. जिहाद, काफिर और मुनाफिक जैसे कई ऐसे शब्द हैं जो कई बार हिंदू मुस्लिम झगड़ों का कारण बन जाते हैं. अगर ये कहा जाए कि लोग इन शब्दों का इस्तेमाल अपशब्दों की तरह या और आसान भाषा में कहें तो गाली की तरह करने लगे हैं तो शायद गलत नहीं होगा. कोई भी धर्म हिंसा को प्रोत्साहित नहीं करता. हिंसा करने वाले लोग धर्म का गलत इस्तेमाल करते हैं. उसी तरह से वो इन शब्दों का गलत अर्थ समझते हैं. अक्सर कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए धार्मिक शब्दों का दुरुपयोग करते हैं और उन्हें एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं.
इस्लाम में जिहाद क्या है? (Most Controversial Words in Islam)
जिहाद का शाब्दिक अर्थ है संघर्ष या प्रयास. इस्लाम में जिहाद का अर्थ आमतौर पर आंतरिक संघर्ष (अपने अहंकार के खिलाफ लड़ाई) और बाहरी संघर्ष (इस्लाम की रक्षा के लिए लड़ाई) दोनों को दर्शाता है. लेकिन आधुनिक युग में जिहाद शब्द का उपयोग आतंकवाद से जोड़कर किया जाता है, जो कि इस शब्द के मूल अर्थ से बहुत दूर है.
इस्लाम में काफिर क्या है?
इस्लाम में काफिर आमतौर पर उस व्यक्ति को कहा जाता है जो इस्लाम में विश्वास नहीं करता है. काफिर के शाब्दिक अर्थ की बात करें के इसका मतलब होता है छिपाने वाला या इन्कार करने वाला. लेकिन, आधुनिक युग में काफिर शब्द का अक्सर गैर-मुस्लिमों के लिए अपमानजनक शब्द के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, जो कि इस शब्द से दूर-दूर तर मेल नहीं खाता.
इस्लाम में मुनाफिक क्या है?
मुनाफिक का शाब्दिक अर्थ ढोंगी या दोगला होता है. अगर इस्लाम धर्म में मुनाफिक शब्द के अर्थ को ठीक से समझा जाए तो ये उस व्यक्ति को कहा जाता है जो मुस्लिम होने का दावा करता है लेकिन दिल से मुसलमान नहीं होता है. बाकि शब्दों की तरह इस शब्द को भी आज के समय में राजनीतिक विरोधियों के लिए अपमानजनक शब्द के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.
इस्लाम में मुशरिक क्या है?
इस्लाम धर्म में मुशरिक उस व्यक्ति को कहते हैं जो अल्लाह के साथ किसी और पर भी विश्वास करता है. इस्लाम एकेश्वरवाद में विश्वास करता है और इस्लाम में शिरक को सबसे बड़ा पाप माना जाता है. शिरक का अर्थ है अल्लाह के साथ किसी और को साझीदार बनाना. कुरान में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जो लोग अल्लाह के साथ किसी और को साझीदार बनाते हैं, वे जहन्नुम की आग में जाएंगे. आधुनिक समय में मुशरिक शब्द का प्रयोग सिर्फ गैर-मुस्लिमों के लिए एक अपमानजनक शब्द के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.
यह भी पढ़ें: Threat Perception For India: पड़ोसी देशों में मची उथल-पुथल, क्या भारत पर भी आने वाला है संकट?
Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप न्यूज़ नेशन के धर्म-कर्म सेक्शन के साथ ऐसे ही जुड़े रहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)