Kya Kehta Hai Islam: सबसे पहले, जन्नत में 72 हूरों का उल्लेख कहानी नहीं बल्कि हदीस में मिलता है. हदीस पैगंबर मोहम्मद की बातों और कार्यों का संग्रह है. कुरान, जो इस्लाम का पवित्र ग्रंथ है, इस बारे में सीधे कुछ नहीं कहता. जन्नत (स्वर्ग) में 72 हूरों का जिक्र अक्सर इस्लाम धर्म के संदर्भ में सुना जाता है, जिसके बारे में कई गलतफहमियां और भ्रांतियां भी फैली हुई हैं. इस्लाम में "हूर" शब्द का अर्थ केवल सुंदर स्त्रियां नहीं है. हूरों को स्वर्ग में रहने वाली पवित्र, नैतिक और आध्यात्मिक रूप से उच्च स्त्री के रूप में वर्णित किया गया है. हदीस में अलग-अलग संख्याओं का भी उल्लेख मिलता है, जैसे 70, 700, या अनगिनत. यह संख्याएं प्रतीकात्मक मानी जाती हैं और उनका शाब्दिक अर्थ नहीं लिया जाना चाहिए.
जन्नत में 72 हूरों का महत्व
यह माना जाता है कि जन्नत में 72 हूरें उन पुरुषों को पुरस्कार के रूप में दी जाती हैं जो ईश्वर पर विश्वास करते हैं, अच्छे कर्म करते हैं, और इस्लामी शिक्षाओं का पालन करते हैं. हूरों को जन्नत में रहने वाले पुरुषों के लिए सुख और आनंद का स्रोत माना जाता है. हूरों को केवल शारीरिक सुंदरता के रूप में नहीं, बल्कि पवित्रता, नैतिकता और आध्यात्मिकता के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है.
गलतफहमियां
कुछ लोग गलतफहमी में रहते हैं कि जन्नत में 72 हूरें केवल पुरुषों के लिए ही हैं. यह गलत है. इस्लाम में महिलाओं को भी जन्नत में पुरस्कार मिलता है, जो उनकी अच्छाइयों और ईश्वर पर विश्वास के अनुसार होता है. कुछ लोग गलतफहमते हैं कि जन्नत में 72 हूरें केवल यौन सुख के लिए हैं. यह भी गलत है. जन्नत में यौन सुख एक पहलू है, लेकिन यह मुख्य उद्देश्य नहीं है. जन्नत का मुख्य उद्देश्य ईश्वर के साथ शाश्वत आनंद और आध्यात्मिक पूर्णता प्राप्त करना है.
जन्नत में 72 हूरों का पुरस्कार, सुख और आध्यात्मिकता का प्रतीक है, न कि केवल शारीरिक सुख का. इस्लाम में महिलाओं और पुरुषों दोनों को ही उनके अच्छे कर्मों और ईश्वर पर विश्वास के अनुसार जन्नत में पुरस्कार मिलता है. जन्नत में 72 हूरों की कहानी को सही मायने में समझना जरूरी है. ये सिर्फ शारीरिक सुख का नहीं बल्कि ईश्वर के पुरस्कार, सुख और आध्यात्मिकता का प्रतीक हैं. इस्लाम में जन्नत का मिलना मनुष्य के अच्छे कर्मों और ईश्वर पर विश्वास पर निर्भर करता है, फिर चाहे वो पुरुष हो या महिला.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau